भोपाल। आज का मुद्दा: ये तो पहले से ही तय था कि 2023 में छिंदवाड़ा में जंग छिड़ेगी, लेकिन रीवा में जिस तरह से मोदी ने छिंदवाड़ा का जिक्र किया, उससे अब ये साफ हो चला है कि कमलनाथ के किले को ढहाने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी प्लानिंग कर ली है। अमेठी और गुना के बाद अब बीजेपी की नजर छिंदवाड़ा पर है, आखिर छिंदवाड़ा इतना अहम क्यों है। ये रिपोर्ट देखिए…
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प्रधानमंत्री का कार्यक्रम रीवा में, जिक्र छिंदवाड़ा का
सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम तो रीवा में था, लेकिन जिक्र छिंदवाड़ा का हो रहा था। पीएम मोदी ने जिस अंदाज और संदर्भ में छिंदवाड़ा का नाम लिया, उसमें 2023 और 2024 की सियासी लड़ाई के फोकस का अंदाजा लगाया जा सकता है। 2019 में अमेठी और गुना के सियासी किलों को फतह करने के बाद अब शायद बीजेपी की नजर छिंदवाड़ा पर हैं। कमलनाथ को उनके गढ़ में घेरने के लिए बीजेपी ने अमेठी और गुना के तर्ज पर तैयारी शुरू कर दी है।
सुंदरलाल पटवा ने किले को ढहाया था
1997 के उपचुनाव में पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ के इस किले को ढहा दिया था, लेकिन एक साल बाद ही आम चुनाव में कमलनाथ अपने गढ़ में फिर काबिज हो गए थे और उसके बाद बीजेपी की तमाम कोशिशें छिंदवाड़ा में नकाम होती रहीं। हालांकि, अब कमलनाथ को उनके गढ़ में उलझाने की कोशिश की जा रही है। इधर, कमलनाथ भी इस बात को भांप चुके हैं और कार्यकर्ता को इसके लिए सतर्क भी कर चुके हैं।
बात छिंदवाड़ा की हो तो फिर कांग्रेस पीछे और कमलनाथ आगे आ जाते हैं और छिंदवाड़ा में विकास मॉडल के साथ साथ उन्होंने यहां छिंदवाड़ा का सियासी मॉडल भी गढ़ा है जिस पर उनको पूरा भरोसा है।
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छिंदवाड़ा हॉट सीट
अब छिंदवाड़ा के हॉट सीट बनने के पीछे की और भी कई वजह है। 2018 के विधानसभा में कांग्रेस ने सभी 7 सीटों पर कब्जा जमाया। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एमपी की 29 में से 28 सीटें जीतीं, लेकिन एक छिंदवाड़ा सीट पर हार का सामना करना पड़ा और इस बार बीजेपी के हौंसले इसलिए बुलंद हैं, क्योंकि 2014 लोकसभा में जहां कांग्रेस की जीत का मार्जिन 1 लाख 16 हजार 500 वोट था वो 2019 लोकसभा में घटकर करीब 37 हजार 500 वोटों पर आ गया। यानी मोदी लहर की आंधी ने अंगद का पैर को जरुर हिलाया था और इस बार भी बीजेपी अपने सूरमाओं के साथ मैदान में उतरेगी तो वहीं कांग्रेस अपना किला बचाने हरसंभव ताकत झोंकेगी।
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