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Aaj Ka Mudda: बगावत! बागी नेताओं के दलबदल का दौर, लिस्ट में नाम नहीं, मेरा यहां काम नहीं!

Aaj Ka Mudda: बगावत यानि विद्रोह ये शब्द सुनते ही मध्यप्रदेश की सियासत के पिछले 5 साल आंखों के सामने तैर जाते हैं।

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Agnesh Parashar
Aaj Ka Mudda: बगावत! बागी नेताओं के दलबदल का दौर, लिस्ट में नाम नहीं, मेरा यहां काम नहीं!

Aaj Ka Mudda: बगावत यानि विद्रोह ये शब्द सुनते ही मध्यप्रदेश की सियासत के पिछले 5 साल आंखों के सामने तैर जाते हैं।

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2018 में कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन मार्च 2020 में सरकार गिरने तक उस पर विद्रोह का साया मंडराता रहा।

बगावत से गिरी थी सरकार

वो सरकार गिरी भी एक बड़ी बगावत के चलते। नई सरकार ने बगावत की नींव पर अपने कदम रखे। उसके बाद ये सिलसिला थमा ही नहीं।

अब जब चुनाव की हांडी चढ़ी हुई है।

उसमें बगावत के अलग-अलग व्यंजन रोज़ पक रहे हैं और उनकी खुशबू से कांग्रेस-बीजेपी के साथ ही तीसरी ताकत बनने का सपना देखने वाले भी महक रहे हैं।

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टिकट कटते ही विद्रोही हो जाते हैं नेता

नेताजी टिकट कटते ही विद्रोही हो जाते हैं और आस्था की अंगड़ाई लेकर लेकर पार्टी बदल लेते हैं। सियासत की ये वो कहानी है जो सदियों से चली आ रही है।

23 की महाभारत में बीजेपी-कांग्रेस दोनों के नेता बगावत की बलि वेदी पर कुर्बान हो रहे हैं।

दोनों की दल इसको लेकर ज्यादा परेशान होते भी नहीं दिख रहे।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने कही ये बात

देखिए चार हजार लोग हैं जिनने दावेदारी की थी। अब चार हजार को तो टिकट मिल नहीं सकता। मिलता तो एक ही है।

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तो इसमें से कुछ तो निराश होंगे ही। पर मुझे पूरा विश्वास है कि वह पूरा हक से कांग्रेस का काम करेंगे। -पीसीसी चीफ कमलनाथ

बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

देखिए एक या दो प्रकरण और नराजगी जोरदार दोनों में अंतर है। कितने आपने भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन देखे नहीं देखें।

हम लोग यहां पर बैठे है। बीजेपी मुख्यालय में कहीं कोई विषय नहीं है। पर कांग्रेस पार्टी की पहली सूची को  अभी 24 घंटे नहीं हुए हैं और 100 से अधिक प्रदर्शन कहीं पुतले जल रहे हैं। 

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किसका विश्वास अर्जित करो किसके सगे हो अपने कार्यकर्ताओं का हित नहीं सोच सकते आम जनहित की क्या बात करोगे। -पंकज चतुर्वेदी बीजेपी प्रवक्ता

क्या इस चुनाव में भी पार्टियों को बगावत भारी पड़ेगी ?

चुनाव के वक्त जानें क्यों नेताजी में बगावत का ज्वार बड़ी तेजी से हिलोरें मारता है। आस्था बदलने और बगावत का झंडा बुलंद करने के दौरान नेता जिस तेजी से रंग बदलते हैं।

वो रंग बदलने का प्रतीक माने जाने वाले को भी शर्माने पर मजबूर कर देता है। मध्यप्रदेश में मौसम चुनावी है और इस मौसम में बगावत भी अपने शबाब पर है।

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विद्रोह की कर्कश आवाजों को जो भी दल मधुर सुरों में तब्दील करने में सफल होगा। सत्ता की महफिल उसी के सुरों से गूंजेगी।

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