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मध्यप्रदेश में इस समय कांग्रेस और बीजेपी दोनों अंतर्विरोध की आग झेल रहे हैं..कांग्रेस में आग की आंच को कंट्रोल करने का वैसा मैकेनिज्म नहीं है जैसा बीजेपी में है तभी तो उसको कई बार सियासी मोर्चे पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा है वहीं बीजेपी किसी भी विषम परिस्थिति से बड़ी आसानी से आगे निकल जाती है सियासत में एक बार फिर घोड़ों पर सियासी संग्राम छिड़ गया है पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा कि कांग्रेस में अब केवल दौड़ने वाले घोड़े रहेंगे जो पार्टी के लिए दौड़ेंगे, वही रहेंगे..कांग्रेस के ‘घोड़े’ पहले भी सियासी सामान बन चुके हैं जून में राहुल गांधी ने भोपाल में कहा था कि कांग्रेस में बारात के घोड़े, रेस के घोड़े और लंगड़े घोड़े..तीन तरह के घोड़े हैं अब अरुण यादव का बयान उसी कहानी में नया अध्याय जोड़ रहा है..
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