रायपुर। आज का मुद्दा : जी हां, छत्तीसगढ़ में एक बार जिस मुद्दे पर सियासत गरमा रही है वो है शराबबंदी। सीएम भूपेश ने साफ कर दिया है कि वो ऐसी किसी भी योजना को लागू नहीं करेंगे, जिससे लोगों की जान को खतरा हो। अब शराबबंदी से जुड़े उनके इस बयान पर बीजेपी के हमले तेज हो गए हैं। कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का मुद्दा फिर जोर पकड़ने लगा है। अब इसका असर चुनाव में कैसा रहने वाला है। चर्चा आज इसी पर।
शराबबंदी को लेकर बयानबाजी होना भी लाजमि
एक बार फिर छत्तीसगढ़ की सियासत में शराबबंदी का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। इस साल विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में शराबबंदी को लेकर बयानबाजी होना भी लाजमि है। शराबबंदी को लेकर सीएम भूपेश ने भी दो टूक कह दिया है कि जान जोखिम में डालकर शराबबंदी नहीं होगी। पहले शराब पीने वाले पीना बंद करें। अब उनके इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रदेश में शराबबंदी नहीं होगी। हालांकि, प्रदेश सरकार ने शराबबंदी को लेकर टीम भी बनाई है, जो अध्ययन के लिए शराबबंदी वाले प्रदेशों में भी गई, लेकिन अब सीएम के ताजा बयान ने सियासी पारा चढ़ा दिया है।
बीजेपी को भी मौका मिल गया
भूपेश बघेल के बयान के बाद बीजेपी को भी मानों फिर मौका मिल गया। कांग्रेस को घेरने का बीजेपी ने कांग्रेस को उसका घोषणा पत्र में किए वादे को याद दिलाते हुए सीधा हमला बोला।
शराबबंदी का मुद्दा कोई नया नहीं
छत्तीसगढ़ की सियासत में शराबबंदी का मुद्दा कोई नया नहीं है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने शराबबंदी का वादा किया था, लेकिन इसमें भी अधिसूचित क्षेत्रों के लिए कुछ शर्तों का भी जिक्र था। इतन ही नहीं शराबबंदी का मुद्दा राज्य में सत्ता परिवर्तन का एक बड़ा कारण भी था और इस बार फिर 2023 के चुनाव से पहले शराबबंदी का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। अब इसका क्या असर विधानसभा चुनाव में पड़ेगा ये भी देखना होगा।