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Tana Bhagat Community : यहां रोजाना होती है तिरंगे की पूजा, पूजा के बाद ही करते है अन्न ग्रहण

Tana Bhagat Community : यहां रोजाना होती है तिरंगे की पूजा, पूजा के बाद ही करते है अन्न ग्रहण tiranga is worshiped here every day since 1917 then they eat food and water vkj

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Bansal News
Tana Bhagat Community : यहां रोजाना होती है तिरंगे की पूजा, पूजा के बाद ही करते है अन्न ग्रहण

Tana Bhagat Community : देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। केंन्द्र सरकार के हर घर तिरंगा अभियान के तहत घरों, संस्थानों में तिरंगा फहराया जा रहा है। तो वही गली चौक चौराहों पर तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसी जगह भी है, जहां एक समुदाय (Tana Bhagat Community) पिछले करीब 100 सालों से तिरंगे की पूजा करता आ रहा है। इतना ही नहीं इस समुदाय (Tana Bhagat Community) के लोग तिरंगे की पूजा करने के बाद ही अन्न जल ग्रहण करते है। हम बात कर रहें है। झारखंड में टाना भगत नामक जनजातीय समुदाय (Tana Bhagat Community)  की।

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पूजा के बाद की किया जाता है भोजन ग्रहण

टाना भगत समुदाय (Tana Bhagat Community)  के लोगों में तिरंगे के प्रति इतनी गहरी आस्था है कि तिरंगे की पूजा के बाद ही लोग अन्न जल ग्रहण करते है। यह परंपार करीब 100 सालों से चली आ रही है। यह समुदाय (Tana Bhagat Community) तिरंगा को अपना सर्वाेच्च प्रतीक और महात्मा गांधी को देवपुरुष मानते है। यहां के तिरंगों में अशोक चक्र की जगह चरखा का चिह्न् बना होता है। आजादी के आंदोलन के दौरान तिरंगे का स्वरूप यही था। इस समुदाय (Tana Bhagat Community) के लोगों में गांधी के आदर्शों की छाप है कि यहां आज भी अहिंसा को मानते है। इतना ही नहीं इस समुदाय (Tana Bhagat Community) के लोग मांसाहार-शराब से दूर रहते है, सफेद खादी के कपड़े और गांधी टोपी पहनते है।

क्या है टाना भगत समुदाय

टाना भगत समुदाय (Tana Bhagat Community) की शुरूआत झारखंड के जतरा उरांव गांव से हुई थी। टाना भगत एक पंथ है। वह गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड के चिंगारी नामक गांव के रहने वाले थे। जतरा उरांव ने आदिवासी समाज में पशु- बलि, मांस भक्षण, जीव हत्या, भूत-प्रेत के अंधविश्वास, शराब सेवन के विरुद्ध मुहिम शुरू की। अभियान असरदार रहा, जिन लोगों ने इस नई जीवन शैली को स्वीकार किया, उन्हें टाना भगत (Tana Bhagat Community)  कहा जाने लगा। जतरा उरांव को भी जतरा टाना भगत (Tana Bhagat Community) के नाम से जाना जाने लगा। जब इस पंथ की शुरुआत हुई, उस वक्त ब्रिटिश हुकूमत का शोषण-अत्याचार भी चरम पर था। टाना भगत पंथ (Tana Bhagat Community) में शामिल हुए हजारों आदिवासियों ने ब्रिटिश हुकूमत के अलावा सामंतों, साहुकारों, मिशनरियों के खिलाफ आंदोलन किया था।

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