Tikamgarh Lok Sabha Seat: मध्यप्रदेश में पहले चरण के चुनाव समाप्त हो गए हैं। अब दूसरे चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को 7 सीटों पर होनी हैं। इसमें दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद और बैतूल शामिल हैं। वहीं इसमें टीकमगढ़ (Tikamgarh Lok Sabha Seat) की सीट पर लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है।
2008 से यहां भारतीय जनता पार्टी ने हार का मुंह नहीं देखा है। वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 में माना जा रहा है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। चलिए आपको बताते हैं टीकमगढ़ की सीट के बारे में।
टीकमगढ़ सीट पर बीजेपी की राह मुश्किल
टीकमगढ़ सीट पर 2008 से भारतीय जनता पार्टी के वीरेंद्र कुमार खटीक का कब्जा रहा है। इस बार भी बीजेपी ने वीरेंद्र कुमार खटीक के अनुभव पर दांव लगाया है और टीकमगढ़ से अपना उम्मीदवार नियुक्त किया है। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार नए चेहरे पर दांव खेला है और यहां से पंकज अहिरवार को चुनावी मैदान में उतारा है।
कांग्रेस के इस दांव के बाद यह देखने को मिल रहा है कि वह कुछ नया करने की कोशिश कर रही है। लोकसभा 2019 में यहां से कांग्रेस ने किरण अहिरवार को मैदान पर उतारा था, लेकिन उन्हें 3.48 लाख वोट से हार झेलनी पड़ी थी।
हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस बार टीकमगढ़ की जनता बीजेपी सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक से थोड़ी नाराज दिखाई दे रही है। जिसके बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या 2008 के बाद यहां कांग्रेस अपना परचम लहराने में कामयाब होगी या फिर टीकमगढ़ की जनता कमल पर भरोसा जताएगी।
2008 में पहली बार चुनाव
टीकमगढ़ सीट (Tikamgarh Lok Sabha Seat) पर पहली बार 2009 में लोकसभा के चुनाव हुए थे। जिसके बाद यहां पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है। जबकि टीकमगढ़ लोकसभा सीट बनने के बाद यहां से वीरेंद्र कुमार खटीक जीतते आए हैं। वह मोदी सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।
वीरेंद्र कुमार खटीक ने पहली बार इस सीट पर कांग्रेस के अहिरवार वृंदावन को हराया था। उसके बाद 2014 में उन्होंने कांग्रेस के कमलेश वर्मा को शिकस्त दी और 2019 में जीत की हैट्रिक लगाते हुए कांग्रेस की किरण अहिरवार को मात दी थी।
अब उनके सामने कांग्रेस के पंकज अहिरवार होंगे, जिसके बाद ये देखना होगा कि क्या इस बार वीरेंद्र कुमार खरीट नए कांग्रेस उम्मीदवार को शिकस्त देने में कामयाब हो पाते हैं या पंकज अहिरवार कांग्रेस की इस हार का सिलसिला तोड़ने में सफल होते हैं।
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चार बार हो चुका है परिसीमन
टीकमगढ़ सीट (Tikamgarh Lok Sabha Seat) पहली बार 1952 में अस्तित्व में आई थी, लेकिन इस सीट पर उसके बाद 4 बार परिसीमन हो चुका है। मगर 2009 में पहली बार यह पूर्ण रूप से अस्तित्व में आयी थी, जिसके बाद से यहां बीजेपी का दबदबा कायम रहा है।
पहले लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस के राम सहाय ने बाजी मारी थी। उसके बाद 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
हालांकि 1967 और 1971 में एक बार फिर टीकमगढ़ (Tikamgarh Lok Sabha Seat) की जनता ने यहां से कांग्रेस उम्मीदवार को चुनकर संसद में भेजा था। बता दें कि 1977 से लेकर 2008 तक ये सीट खजुराहो लोकसभा का हिस्सा रही थी।
क्या कहता है टीकमगढ़ का जातिगत समीकरण
2011 में हुई जनगणना के मुताबिक टीकमगढ़ (Tikamgarh Lok Sabha Seat) में कुल जनसंख्या 1,445,166 है। इसमें पुरुष की संख्या 7,60,355 और महिला की संख्या 6,84,811 है।
जबकि 2019 में आधार डाटा के अनुसार यहां की कुल जनसंख्या 1,616,201 है। बता दे कि टीकमगढ़ की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
टीकमगढ़ सीट पर 31.4 प्रतिशत एसी-एसटी और 28.9 प्रतिशत ओबीसी है। जिसके बाद माना जा रहा है कि वीरेंद्र कुमार खटीक एक बार फिर जीत दर्ज कर सकते हैं>
लेकिन पंकज अहिरवार के चुनावी मैदान में उतरने के बाद यह माना जा रहा है कि वह खटीक को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। बता दें कि इस सीट पर पंकज अहिरवार की युवाओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है और वह इस बार कांग्रेस को वापसी करवाने के मूड से चुनावी रण में उतरे हैं।
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