भोपाल। इंदौर का ‘जिंदा भूत’ भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर अब कभी नहीं दिखेगा। अंतिम संस्कार करने वाले प्रदीप कनौजिया पिछले 30 सालों से यहां शवों का अंतिम संस्कार कर रहे थे। वे अब नहीं रहे। सांप के काटने से उनकी मौत हो गई। ताज्जुब की बात है कि कोरोना की तीनों लहरों में वह लगातार लाशों का अंतिम संस्कार करते रहे पर एक बार भी संक्रमित नहीं हुए। पूछने पर कहते थे- मैं जिंदा भूत हूं…। कोरोना काल में जब परिजन डर की वजह से अपनों का ही अंतिम संस्कार करने नहीं आ रहे थे, तो ऐसे में उन्होंने खुद एक हजार से ज्यादा शवों को अग्नि दी थी।
प्रदीप कनौजिया मूलत: इंदौर शहर के रहने वाले थे। प्रदीप कनौजिया को लोग डल्ली भैया के नाम ये भी जानते थे। बताया जाता है कि उन्होंने अब तक 30 सालों में 25 हजार से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कराया था।
23 मार्च को वे भोपाल पुलिस लाइन की 25वीं बटालियन में एक घर में सांप पकड़ रहे थे। सांप पकड़ने के बाद डिब्बे में बंद करते समय सांप ने उन्हें डस लिया। आनन फानन में उन्हें हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां छह दिन मौत से लड़ने के बाद मंगलवार तड़के उन्होंने दम तोड़ दिया।
प्रदीप के मौसी के बेटे राजेश कनौजिया ने बताया कि उन्होंने कोरोना की तीनों लहरों के दौरान दिन-रात काम किया। भोपाल पुलिस ने उन्हें ‘कोरोना वीर’ पुरस्कार से नवाजा था।