जाकिर हुसैन भारत के तीसरे और पहले मुस्लिम राष्ट्रपति (Muslim President Zakir Hussain) थे। उनक जन्म 1897 को हैदराबाद में हुआ था। जाकिर हुसैन 13 मई, 1967 से 3 मई, 1969 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहे। उनका इसी दिन अचानक निधन हो गया था। हुसैन का जन्म तेलंगाना के एक धनवान परिवार में हुआ था। जाकिर हुसैन (Muslim President Zakir Hussain) जब 23 साल के थे, तब जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की स्थापना दल के सदस्य बन गए थे। इन्होंने जर्मनी के बर्लिन से अर्थशास्त्र में पीएचडी की थी। इन्हें 1963 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
जाकिर हुसैन (Muslim President Zakir Hussain) को 29 साल में जामिया मिलिया इस्लामिया विवि का वाइस चांसलर बना दिया गया। जब राष्ट्रपति पद के लिए इनका नाम चला, तो विपक्षियों ने कहा कि ये मुस्लिम हैं, इसलिए जनता इन्हें स्वीकार नहीं करेगी। लेकिन जयप्रकाश नारायण ने नाराजगी जताई। कहा कि अगर जाकिर साहब राष्ट्रपति नहीं बने, तो देश की कौमी एकता के लिए ठीक नहीं होगा। देश दो टुकड़ों में बंट जाएगा। आखिरकार जाकिर हुसैन (Muslim President Zakir Hussain) की जीत हुई, और उन्हें देश का तीसरा राष्ट्रपति चुना गया।
बात दें कि जाकिर हुसैन (Muslim President Zakir Hussain) की जीत का जामा मस्जिद से भी ऐलान किया गया था। जब जाकिर हुसैन 10 साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था। 14 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया था। जाकिर हुसैन (Muslim President Zakir Hussain) आखिरी समय में काफी बीमार रहे। शुगर चरम पर थी। ग्लूकोमा से आंखों की रोशनी कम पड़ती जा रही थी। एक दिन जाकिर हुसैन (Muslim President Zakir Hussain) की उनके दफ्तर में ही दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।
जाकिर हुसैन (Muslim President Zakir Hussain) के भाई मुहम्मद हुसैन मोहम्मद अली जिन्ना के समर्थक थे। बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान चले गए और वहां शिक्षा मंत्री बने। उन्हें कश्मीर मामलों का मंत्री भी बनाया गया था। यहां, कांग्रेस नेता खुर्शीद आलम जाकिर हुसैन (Muslim President Zakir Hussain) के दामाद हैं।