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हवा में उड़ते हुए आए पत्थरों से बना है यह किला, जानिए क्या है रामनगर महल की कहानी

हवा में उड़ते हुए आए पत्थरों से बना है यह किला, जानिए क्या है रामनगर महल की कहानी This fort is made of stones that came flying in the air, know what is the story of Ramnagar Mahal nkp

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Bansal Digital Desk
हवा में उड़ते हुए आए पत्थरों से बना है यह किला, जानिए क्या है रामनगर महल की कहानी

भोपाल। अगर हम आपसे कहें कि पत्थर हवा में उड़ता है, तो आप सोचेंगे कि यह कैसे हो सकता है। लेकिन मध्यप्रदेश के मंडला जिले में एक ऐसा स्थान है जहां ये सब संभव था। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां स्थित रामनगर किले के निर्माण के लिए राजा हृदयशाह ने तंत्र शक्ति के बल पर पत्थरों को बुलाया था और पत्थर हवा में उड़कर निर्माण स्थल तक पहुंच गए थे।

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इसकी सच्चाई क्या है कोई नहीं जानता

इसकी सच्चाई क्या है यह तो आज तक कोई नहीं बता पाया, लेकिन जानकार मानते हैं कि रामनगर किला अष्टफलक पत्थरों से बना है। अष्टफलक पत्थरों का पहाड़ रामनगर किले से केवल चार किलोमीटर की दूरी पर है। गौड़काल में इस पहाड़ के पत्थरों का इस्तेमाल महल निर्माण के लिए किया जाता था। वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो उस समय राजा हृदयशाह ने पत्थर को हवा में उड़ाकर इस किले का निर्माण कराया था। वहीं इतिहासकार इस बात को सिरे से खारिज करते हैं। इतिहासकारों का कहना है कि इन पत्थरों को कहीं बाहर से मंगाया गया था।

गौड़ राजा तंत्र शास्त्र पर विश्वास रखते थे

मान्यताओं के अनुसार यहां मोतीमहल, रानीमहल और रायभगत की कोठी का निर्माण काली पहाड़ी के अष्टफलक पत्थरों से कराया गया था। खास बात यह है कि इन विशाल महलों का निर्माण राजा हृदयशाह ने रामनगर में अपने तंत्र शक्ति से महज ढाई दिनों में कराया था। इतिहासकार भी मानते हैं कि गौड़ राजा तंत्र शास्त्र पर विश्वास रखते थे। वे कई कार्यों के लिए तांत्रिक क्रिया करते थे। जबलपुर में बना भैरव बाबा का मंदिर भी तंत्र साधना के लिए बनाया गया था। यह मंदिर देश के बड़े तांत्रिक मंदिरों में गिना जाता है। यहां कई राजा आकर साधना करते थे।

भारत का एकमात्र तांत्रिक मंदिर

इस मंदिर को भारत का एकमात्र तांत्रिक मंदिर माना जाता है। आज भी यहां साधक साधना करने आते हैं। इस मंदिर को बाजना मठ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण भी काले पत्थरों से किया गया है। हालांकि आज इसका रंग रोगन कर दिया गया है। तांत्रिक पीठमंदिर के भीतर काल भैरव की मूर्ति है। इसी की वजह से यहां लोग तांत्रिक साधना करने आते हैं और मंगलवार और शनिवार को यहां तांत्रिक साधना करने वालों की भीड़ बनी रहती है।

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मान्यता पूरी करवाने के लिए लोग यहां आते हैं

इसके अलावा भी लोग अपनी मान्यता पूरी करवाने के लिए यहां आते हैं और भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर से जुड़े हुए एक पुजारी का कहना है काल भैरव के दो ही मंदिर हैं एक उज्जैन में है और दूसरा जबलपुर में और यह एकमात्र तांत्रिक मंदिर है। ऐसा दावा किया जाता है कि दूसरा कोई तांत्रिक मंदिर भारत में इसके अलावा नहीं है और इसकी धार्मिक मान्यता केवल जबलपुर में नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी है और लोग दूर-दूर से यहां तांत्रिक साधना करने के लिए सामान्य दिनों में और दीपावली के आसपास आते हैं।

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