हाइलाइट्स
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गुप्त नवरात्रि में प्रसिध्द देवी मंदिरों के करें दर्शन।
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दर्शन करने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं।
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देवी मां करती हैं सभी पर कृपा।
Gupt Navratri 2024: देवी माताओं के गुप्त नवरात्रि चल रहे हैं। माघ मास में गुप्तनवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा-उपासना के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस समय के नवरात्रि में माँ दुर्गा के साथ माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी व माँ काली का भी अर्चन किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रों में दस महाविद्याओं की पूजा का विधान है। ये 10 महाविद्याएं काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला हैं। 10 महाविद्या आदिशक्ति जगतजननी की अवतार मानी जाती हैं। ये दिशाओं की अधिष्ठात्री शक्तियां हैं। तंत्र साधना करने वाले इन महादेवियों की पूजा गुप्त रूप से करते हैं, इसलिए इनको गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि के मौके पर आप भी माता के प्राचीन और पवित्र मंदिरों के दर्शन करने जा सकते हैं।
आइए आज हम आपको मध्यप्रदेश में स्थित देवियों के मंदिरों के रहस्य के बारे में बताएंगे… जो अपनी महत्ता की वजह से दुनिया भर में प्रसिध्द हैं।
मैहर देवी मंदिर- सतना
MP के सतना जिले में प्रसिद्ध और प्राचीन मैहर माता का मंदिर (Gupt Navratri 2024) त्रिकुट पहाड़ी पर स्थित है। मैहर देवी मंदिर को 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहते हैं, कि यहां माता सती के गले का हार गिरा था, इस वजह से मंदिर का नाम मैहर रखा गया। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 1000 से ज्यादा सीढ़ियां बनी हैं। हालांकि यहां तक पहुंचने के लिए केबल कार (ट्रॉली) और कुछ किलोमीटर तक टैक्सी सेवा भी मिलती है। नवरात्रि के साथ-साथ हर मौके पर यहां भक्तों की भीड़ रहती है।
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चौसठ योगिनी मंदिर- भेड़ाघाट
राज्य के भेड़ाघाट में माता का लोकप्रिय मंदिर है, जो चौसठ योगिनी के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के आसपास किया गया था। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि यहां देवी दुर्गा के साथ 64 योगिनियां निवास करती हैं।
काली माता मंदिर- भोपाल
राजधानी भोपाल के छोटे तालाब के पास स्थित काली माता मंदिर (Gupt Navratri 2024) है, जो वषों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
कहा जाता है यहां पहले माता मंदिर की एक छोटी सी मढ़िया हुआ करती थी। लेकिन अब विशालकाय भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है।
हरसिद्धि मंदिर- उज्जैन
हरसिद्धि मंदिर माँ सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है जहाँ माँ पार्वती के अवतार माता अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। मंदिर की वास्तुकला में मराठा स्पर्श है। मंदिर में नवरात्रि उत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, जिससे मंदिर को भारी मात्रा में रोशनी से सजाया जाता है। ये मंदिर को मध्य प्रदेश में घूमने के लिए सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक बनाते हैं।
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बिजासन माता मंदिर- इंदौर
इंदौर में स्थित बिजासन माता मंदिर प्रदेश का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां देवी के नौ स्वरूप विराजमान हैं, यहां नवरात्रि के दौरान भक्तों की कफी भीड़ रहती हैं।
इस मंदिर (Gupt Navratri 2024) का इतिहास करीब एक हजार साल पुराना है। कहा जाता है आसपास के जंगल में काले हिरण और तंत्र-मंत्र, सिद्धि के कारण इस मंदिर की पहचान थी।
वहीं 1760 में इंदौर के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
रतनगढ़ माता मंदिर – दतिया
दतिया जिले से लगभग 60 किलोमीटर दूर रतनगढ़ माता मंदिर देश भर में प्रसिद्ध है। बता दें कि मां दुर्गा का यह मंदिर सिंध नदी के तट पर है। साथ ही ऐसी मान्यता है की जो भी भक्त यहां आता है, मां दुर्गा उसकी मन्न जरूर पूरी करती हैं।
सीहोर का बिजासन माता मंदिर – सलकनपुर
राजधानी भोपाल से 70 किमी दूर सीहोर जिले में स्थित बिजासन माता मंदिर प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो सलकनपुर में स्थित है। यहां त्यौहारों पर हजारों भक्तों की भीड़ रहती है।
अन्नपूर्णा मंदिर, इंदौर
हिंदू देवता अन्नपूर्णा, मां दुर्गा का एक रूप, जिनके बारे में माना जाता है कि वे हर किसी की थाली में भोजन प्रदान करती हैं, की पूजा इंदौर के अन्नपूर्णा मंदिर में की जाती है। वास्तुकला मंदिरों की दक्षिण भारतीय संरचना का प्रतीक है और मदुरै के मीनाक्षी मंदिर के समान है। मंदिर की मूर्तिकला सुंदरता और आनंदमय वातावरण हर दिन बड़ी संख्या में भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
निवाड़ी का अचरू माता मंदिर
निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर में स्थित अचरू माता मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। साथ ही प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है। यह मंदिर जिलामुख्यालय से 40 किमी दूर है। साथ यहां आप बस या अपने निजी वाहन से पहुंच सकते है।
कंकाली माता मंदिर
रायसेन जिले में स्थित और राजधानी भोपाल से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कंकाली माता मंदिर अपनी आलौकिक मान्यताओं से प्रसिद्ध है। मंदिर को लेकर मान्यता है, कि नवरात्रि में नवमी की रात्रि में निशाकालीन यज्ञ होता है, उस दौरान मंदिर में स्थापित मां कंकाली की मूर्ति की टेढ़ी गर्दन अपने आप सीधी हो जाती है। जो मैया की गर्दन को सीधी होते देख लेता है। उसके सारे मनोरथ अपने आप सिद्ध हो जाते हैं।
कवलका माता मंदिर, रतलाम
रतलाम में स्थित कवलका माता मंदिर लगभग 300 साल पुराना है। कहा जाता है कि यहां विराजमान मां कवलका, मां काली और काल भैरव की मूर्तियां मदिरापान करती हैं। वहीं मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त मदिरा का भोग लगाते हैं। यह मंदिर जिलामुख्यालय से 32 किमी की दूरी पर है।
श्री मांढरे माता मंदिर – ग्वालियर
मध्य प्रदेश के सुंदर से शहर ग्वालियर में भी माता का पवित्र मंदिर स्थित है। श्री मांढरे माता मंदिर काफी प्राचीन है। यह मंदिर कंपू क्षेत्र के कैंसर पहाड़ी पर स्थित है। कहते हैं कि यहां माता के दर्शन करने और सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।