हाइलाइट्स
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11 लोगों की मौतों के ये 3 हैं गुनाहगार।
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10 साल की जेल भी रही बेअसर।
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तीनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
Harda Factory Blast: मध्यप्रदेश के हरदा में पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से 11 लोगों की मौत हो गई। इन 11 लोगों की मौत के जिम्मेदार फैक्ट्री मालिक राजेश-सोमेश अग्रवाल के साथ सुपरवाइजर रफीक ये तीन लोग जिम्मेदार हैं। तीनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। SDRF की टीम ने घटना स्थल पर पहुंचकर मोर्चा संभाला है।
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बता दें, कि इस फैक्ट्री में 2015 में पहली बार धमाका हुआ था। जिसमें 2 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद 2021 में फैक्ट्री मालिक को 10 साल की सजा मिली थी। अभी फैक्ट्री मालिक जमानत पर बाहर था। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। 2015 के बाद 2017 और 2022 में भी हादसे हुए।
कंपनी के गोदाम में परमिशन से कई गुना ज्यादा बारूद का स्टॉक था। कंपनी को 15 किलो पाउडर की क्षमता स्टोरेज का लाइसेंस मिला था। सरकारी कागजों पर लाइसेंस सस्पेंड था इसके बाद भी काम बराबर चलता रहा। पटाखों के स्टोरेज के 2 लाइसेंस राज्य सरकार से मिले थे। 1 लाइसेंस सस्पेंड हो चुका, दूसरा 2023 में सस्पेंड किया। राजेश-सोमेश की 5 फैक्ट्रियां हैं, किसी में सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। लाइसेंस 15 किलो का होने के बावजूद ट्रकों से बारूद आता था। 10 साल की जेल भी बेअसर रही।
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कोर्ट के फैसले में जिक्र
जुलाई 2021 में कोर्ट के फैसले में जिक्र है, कि आरोपी राजेश अग्रवाल को सिर्फ 15 किलो पाउडर की अधिकतम क्षमता स्टोरेज का लाइसेंस मिला था। लेकिन उसके गोदाम और फैक्ट्री में इससे हजारों किलो बारूद निकला।
आसपास के लोगों के अनुसार
इसके साथ ही आसपास के लोगों के अनुसार, फैक्ट्री में ट्रकों से बारूद आता था, यानी साफ है कि महज 15 किलो के विस्फोटक का लाइसेंस लेकर अग्रवाल पूरे सरकारी सिस्टम को अपने इशारे पर चलाता रहा। इस फैसले के बाद भी कई बार कलेक्टर, ADM और SDM ने इस फैक्ट्री की जांच की। तब भी यहां क्षमता से ज्यादा बारूद का स्टॉक मिला था। कुछ दिन के लिए सरकारी कागजों पर लाइसेंस सस्पेंड हुआ। लेकिन काम यहां बराबर चलता रहा।
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हरदा के राजस्व अमले के अधिकारी के अनुसार
हरदा के राजस्व अमले के अधिकारी भी मानते हैं, कि इस फैक्ट्री में जब भी रेड हुई, यहां गड़बड़ मिली। कागजों पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन फैक्ट्री में कभी काम बंद नहीं हुआ। इस फैसले में कोर्ट ने लिखा है कि ये सही है कि राजेश अग्रवाल को विस्फोटक सामग्री का लाइसेंस दिया गया था, लेकिन जिस मात्रा में पटाखे निर्माण का लाइसेंस था, उससे कई गुना ज्यादा उनके पास स्टॉक न सिर्फ फैक्ट्री में मिला, बल्कि गोदाम में भी भारी मात्रा में स्टॉक मिला।
कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा, डेढ़ महीने में आया बाहर
इस केस में सरकार की तरफ से वकील प्रवीण सोनी ने पक्ष रखा था। 7 जुलाई 2021 को कोर्ट ने आरोपियों को अवैध बारूद रखने के संबंध में दोषी पाया था। उन्हें 10 साल की सजा और 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
कोर्ट के आदेश के बाद अग्रवाल को जेल भेजा गया। डेढ़ महीने तक वह जेल में रहा। इसके बाद जमानत पर बाहर आ गया। उसने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। अभी ये मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
इसके बाद सोमेश अग्रवाल के नाम से लाइसेंस लिया और फिर पटाखों का काम शुरू कर दिया। इसके बाद उसका काम कभी बंद नहीं हुआ। यहां 2015 के बाद 2017 और 2022 में भी हादसे हुए थे। अब तक 10-12 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी प्रशासन नहीं चेता।
अफसरों के पास सवालों का नहीं कोई जवाब
संभागीय कमिश्नर पवन शर्मा के अनुसार, इनके पास 4 लाइसेंस थे। 2 लाइसेंस मैन्यूफैक्चरिंग के केंद्र सरकार के विस्फोटक नियंत्रक से मिले थे। इसके तहत इन्हें सीमित मात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग की अनुमति दी। दूसरा- पटाखों के स्टोरेज के 2 लाइसेंस राज्य सरकार से मिले थे। इन्हें कलेक्टर जारी करते हैं।
दो में से एक लाइसेंस पहले ही सस्पेंड हो चुका था। दूसरा लाइसेंस भी अक्टूबर 2023 में सस्पेंड किया जा चुका था।
ADM डॉ. नागार्जुन गौड़ा के मुताबिक, जिस बिल्डिंग में पटाखा फैक्ट्री चल रही थी, इसमें ग्राउंड के अलावा 2 फ्लोर थे। इसे पहले भी सील किया गया था। 2023 में यहां GST ने भी छापेमारी की थी। हालांकि, वे भी इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि हर स्तर पर गड़बड़ी के बावजूद इस फैक्ट्री में काम कैसे हो रहा था।
2009 में पटाखे की छोटी सी दुकान से 5 फैक्ट्रियों का बना मालिक
राजेश अग्रवाल के पास 2009 तक पटाखे की छोटी सी दुकान थी। धीरे-धीरे पटाखों की मैन्यूफैक्चरिंग का काम शुरू कर दिया था। एक के बाद एक 5 फैक्ट्रियां खड़ी कर दी थीं। हरदा के आसपास के इलाके में ये फैक्ट्रियां बनाई थीं। जिस फैक्ट्री में धमाका हुआ, वह अजनाल नदी किनारे बैरागढ़ बस्ती में है।
किसी फैक्ट्री में नहीं हैं सुरक्षा के इंतजाम
सरकारी वकील प्रवीण के मुताबिक फैक्ट्री में आग लगने पर सुरक्षा के बंदोबस्त बिल्कुल नहीं है। मानकों के अनुसार जिस तरह से बारूद को सुरक्षित रखा जाता है, उसका भी यहां कोई ध्यान नहीं रखा जाता। इतना ही नहीं यहां न आग बुझाने के लिए पानी का इंतजाम था न ही रेत थी। जिससे आग को बुझा जा सके।
लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक पटाखे बनाने के बाद इन्हें आग के अवरोधी डिब्बों में पैक करना जरूरी होता है। लेकिन यहां ऐसा भी नहीं किया गया था। पटाखा निर्माण के काम में नाबालिग बच्चों को भी लगाया गया।
इसी फैक्ट्री में कब-कब लगी आग
साल 2015 में फैक्ट्री में आग लगने से 2 लोगों की मौत, कोर्ट ने इसी केस में राजेश अग्रवाल को 10 साल की सजा सुनाई थी।
साल 2018 में आग लगने से 3 लोगों की मौत हुई। इसमें क्या हुआ, किसी को नहीं पता।
साल 2022 में आग लगने पर 3 लोगों की मौत हुई। इस केस की जानकारी भी अफसरों को नहीं।