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Sasbahu Temple in MP: मध्य प्रदेश में है सास-बहू मंदिर, जानिए इससे जुड़े अद्भुत और रोचक तथ्य

ग्वालियर। Sasbahu Temple in MP: भारतीय संस्कृति और परंपरा विश्व विख्यात है। इनमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बने मंदिर भी शामिल हैं।

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Bansal News
Sasbahu Temple in MP: मध्य प्रदेश में है सास-बहू मंदिर, जानिए इससे जुड़े अद्भुत और रोचक तथ्य

ग्वालियर। Sasbahu Temple in MP: भारतीय संस्कृति और परंपरा विश्व विख्यात है। इनमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बने मंदिर भी शामिल हैं। विदेशों से लोग भारत के इन निर्माणों के लिए देखने पहुंचते हैं। इन्हीं में से एक है भारत के मध्य क्षेत्र में स्थित मध्य प्रदश के ग्वालियर जिले में बना सास-बहू मंदिर या सहस्रबाहु मंदिर। यहां जानिए इससे जुड़े अद्भुत और रोचक तथ्य...

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सहस्रबाहु मंदिर भी कहा जाता है

दरअसल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में इस सहस्रबाहु मंदिर (Sasbahu Temple) जिसे लोग सास-बहू मंदिर के नाम से भी जानते हैं, इसका निर्माण 1093 ई. में कच्छपघाट वंश के राजा महिपाल ने करवाया था। ग्वालियर के किले में स्थिति दो जुड़वां मंदिरों के लिए सास-बहू मंदिर के रूप में जाना जाता है।

11वीं सदी में जुड़वा मंदिरों का निर्माण

इसे सासबाहु मंदिर, सास-बहू मंदिर, सहस्रबाहु मंदिर (Sasbahu Temple) या हरिसदनम मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भारत के मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित इन दोनों जुड़वा मंदिरों का निर्माण 11वीं सदी से जुड़ा हुआ है। मंदिर भगवान विष्णु के पद्मनाभ रूप को समर्पित है।

विदेशी आक्रमणों से सास-बहू मंदिर क्षतिग्रस्त

हालांकि, विदेशी आक्रमणों के बीच सास-बहू मंदिर, सहस्रबाहु मंदिर (Sasbahu Temple) बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इन दोनों जुड़वां मंदिरों से जुड़े शिलालेख के अनुसार कच्छपघाट वंश के राजा महिपाल 1093 ई. में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। दोनों ही जुड़वां मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर किले में स्थित हैं।

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मंदिर का शिखर और गर्भगृह नष्ट

मंदिर को देखने के लिए पहुंचने पर हमें पता चलता है कि सास-बहू मंदिर, सहस्रबाहु मंदिर (Sasbahu Temple) का शिखर और गर्भगृह नष्ट हो चुका है, लेकिन इसकी वास्तुकला और क्षतिग्रस्त नक्काशी हम अभी भी देख सकते हैं। 100 फीट (30 मीटर) लंबा और 63 फीट (19 मीटर) चौड़ा यह मंदिर तीन मंजिला हुआ करता था।

सास-बहू मंदिर में बरामदा और मंडप

इस सास-बहू मंदिर, सहस्रबाहु मंदिर (Sasbahu Temple) के बीच बरामदा और मंडप बना हुआ है। मंदिर में तीन अलग-अलग दिशाओं से तीन प्रवेश द्वार हैं। चौथी दिशा में एक कमरा है, जिसे फिलहाल बंद रखा गया है। इसके साथ ही पूरे मंदिर पर नक्काशी की गई है। प्रवेश द्वार पर ब्रह्मा, विष्णु और सरस्वती की 4 मूर्तियां हैं।

राजस्थान उदयपुर में भी सास-बहू मंदिर

ग्वालियर की ही तरह भारत के राजस्थान में भी इसी तरह के दो जुड़वां मंदिर बने हुए हैं। राजस्थान के उदयपुर में स्थित इन मंदिरों के लिए भी लोग सास-बहू मंदिर के नाम से जानते हैं। राजस्थान के उदयपुर शहर से करीब 23 किमी दूर नागदा गांव में बने यह मंदिर सहस्त्रबाहु मंदिर (Sasbahu Temple) के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।

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दोनों जुड़वा मंदिरों की मान्यता

सास-बाहू मंदिर के बारे में स्थानीय मान्यताओं के अनुसार एक साथ बने इन दोनों जुड़वा मंदिरों के लिए सास और बहू (Sasbahu Temple) के रूप में देखा जाता है। हालांकि, केवल सास मंदिर ही किसी न किसी रूप में बचा हुआ है। बहू मंदिर क्षतिग्रस्त है। केवल दीवार की नक्काशी ही बची हुई है। बहू मंदिर देखकर पता चलता है कि यह सास मंदिर की ही तरह रहा होगा।

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