बिहार के हाजीपुर में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हर साल दुनिया का सबसे बड़ा भूतों का मेला लगता है। इस दौरान आस्था और अंधविश्वास के अनुष्ठान की अनोखी तस्वीर देखने को मिलती हैं। आज कार्तिक पूर्णिमा है। हाजीपुर के कौनहारा घाट पर पूरे बड़े-बड़े तांत्रिक पहुंचते हैं। भूत खेला और आस्था से जुड़ी अनोखी अनुष्ठान करते हैं। लोगों की इस अंधविश्वास से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं। हर साल लोग यहां आते हैं और इस तरह का अनुष्ठान करते हैं। इसकी तस्वीरें और वीडियो भी सामने आईं हैं।
बुरी आत्माओं की शुद्धि का दावा
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर तांत्रिक बुरी आत्माओं को शुद्ध करते हैं। गंगा गंडक के संगम पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। इस दौरान पूरी रात भूत प्रेत से जुड़ी अनुष्ठान चलती है। कोनहारा घाट पर मौजूद तांत्रिक का दावा है कि कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान कराकर नई भक्त को सिद्ध किया जाता है। तांत्रिक कहते हैं कि अकाल मृत्यु में मरे हुए लोगों की आत्माओं को सिद्ध किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर अनुष्ठान से लोग बिना इलाज कराए ही स्वस्थ हो जाते हैं।
कौनहारा घाट का पुराना है इतिहास
हाजीपुर का कोनहारा ऐतिहासिक घाट है। इस घाट पर स्वयं भगवान विष्णु का अवतार हुआ था। इस घाट पर गज और ग्राह की लड़ाई हुई थी। इसमें ग्राह गज को पानी में खींच कर डुबो रहा था तब गज ने भगवान विष्णु को याद किया। प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने गज की रक्षा करने के लिए घाट पर अवतार लिया। उन्होंने गज और ग्राह की लड़ाई खत्म की और गज की जान बचाई। तब से हाजीपुर घाट कोनहारा घाट के नाम से प्रचलित हो गया। यह इतिहास वर्षों पुराना है।
आधी रात को गंगा के बीच महिला-पुरुष झूमते हैं
हम सब अब चांद और चंद्रयान की बात करते हैं, लेकिन आज भी लोग अंधविश्वास में विश्वास रखते हैं। लाखों की संख्या में श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हाजीपुर के कोनहारा घाट पहुंचते हैं। पूरी रात महिला पुरुष सभी तांत्रिक के साथ मिलकर पानी के बीच में झूमते हुए गंगा में डुबकी लगाते हैं। अंधविश्वास से जुड़ी हुई कई अनुष्ठान करते हैं। यहां एक अजीबोगरीब नजारा देखने को मिलता है। लोग डॉक्टर और साइंटिस्ट को सबसे श्रेष्ठ मानते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो अंधविश्वास में विश्वास रखते हैं।
तांत्रिक नरमुंड लेकर रात भर पूजा करते हैं
मानना है कि लोगों के जीवन में परेशानी होने पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन घाट पर पहुंचकर पूजा पाठ करते हैं। इससे दिक्कत और परेशानी दूर हो जाती है। इधर, घाट पर मौजूद तांत्रिक दावा करते हैं कि यदि कोई व्यक्ति पागल हो गया तो यहां पर अनुष्ठान करने पर वह ठीक हो जाता है। कोनहारा घाट पर एक से बढ़कर एक बड़े बड़े तांत्रिक पूरी रात इंसानी नरमुंड लेकर अपने ही धुन में पूजा अर्चना करते हैं। नदी के बीच महिला पुरुष तांत्रिक अपने अनोखे अंदाज में डुबकी लगाते और झूमते नजर आते हैं।
जिला प्रशासन रहते हैं तैनात
कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान के लिए छठ व्रती अपने-अपने क्षेत्र में गंगा में डुबकी लगाते हैं। छठ पर्व की समाप्ति तो होती है, लेकिन हाजीपुर में छठ करने वाले लोगों के साथ भारी संख्या में महिला पुरुष तांत्रिक भी आते हैं। ऐतिहासिक कोनहारा घाट पर लाखों लाख की संख्या में पूजा-अर्चना और गंगा में डुबकी लगाई जाती है। जिला प्रशासन भीड़ इकट्ठा होने को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद रहता है। भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती रहती है।