रतलाम। अगर हम आपसे कहें कि आपके सामने दो चीजें रखी हैं, एक फूल और दूसरा एक कांटा, तो आप किसे चुनेंगे, मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि आप फूल उठाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर लोगों को फूल पसंद होते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे राजा की कहानी बताएंगे, जिसने फूलों की जगह कांटों का बगीचा लगाया था।
कहां स्थित है कैक्टस गार्डन?
मध्य प्रदेश के रतलाम से 22 दूर सैलाना में एक कैक्टस गार्डन है। इसे सैलाना के महाराजा दिग्विजय सिंह ने एशिया का सबसे बड़ा कैक्टस गार्डन के रूप में अपने राजमहल में लगवाया था। कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह पूरी दुनिया में घूम रहे थे लेकिन उन्हें कांटों का बागीचा (कैक्टस गार्डन) कहीं रास नहीं आ रहा था। 1958 में, जब वे जर्मनी में प्रवास पर थे। तब उन्हें कई कैक्टस के पौधे पसंद आए। उन्होंने जर्मनी से भारत लौटने पर कैक्टस गार्डन लगवाने का फैसला किया।
दुनियाभर से प्लांट मंगवाए
उन्होंने अपने इस अनोखे कैक्टस गार्डन के लिए दुनियाभर से कैक्टस के प्लांट मंगवाए। जैस- जर्मनी, अरब, टेक्सास, मेक्सिको, अमेरिका और चिली जैसे देशों से कैक्टस के प्लांट सैलाना लाए गए। राजा ने इस बात तक का ख्याल रखा कि कहीं भारतीय जमीन में ये पौधे दम न तोड़ दें। बकायदा मृदा विशेषज्ञों की सलाह पर उन्होंने उन देशों से मिट्टियां भी मंगवाईं जहां से कैक्टस लाए गए थे। राजा ने अपने इस कैक्टस गार्डन को जसवंत निवास पैलेस में लगवाया था।
यहां 1200 से ज्यादा प्रजातियां हैं
यह कैक्टस गार्डन कई मायनों में खास है। कहा जाता है कि यहां कैक्टस की 1200 से ज्यादा प्रजातियां हैं। इनमें विदेशी कैक्टस से लेकर देसी कैक्टस भी शुमार हैं। कैक्टस गार्डन को देखने दुनियाभर के पर्यटक सैलाना पहुंचते हैं। वनस्पति विज्ञान के छात्र और वैज्ञानिक भी यहां अलग-अलग तरह के शोध कार्यों के लिए पहुंचते हैं। क्योंकि कैक्टस का इस्तेमाल कई दवाइयों के बनाने में भी होता है।
ऐसे पहुंचे कैक्टस गार्डन
जसवंत निवास महल में बने इस कैक्टस गार्डन तक पहुंचने का रास्ता बेहद आसान है। यह कैक्टस गार्डन रतलाम से करीब 22 किलोमीटर दूर है। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर है। यहां ट्रेन से भी पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन रतलाम रेलवे जंक्शन है। प्राइम लोकेशन होने की वजह से यहां के लिए हमेशा सवारी गाड़ियां मिलती रहती हैं।