नई दिल्ली। 27 सफदरजंग रोड, नई दिल्ली स्थित एक सरकारी बंगला इनदिनों काफी सुर्खियों में है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बंगले पर दो बड़े नेताओं की नजर है। पहले हैं पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (Ramesh Pokhriyal Nishank) जो पहले से इस बंगले में रह रहे हैं और दूसरे हैं नागररिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)। खबर है कि इस बंगले को ज्योतिरादित्य सिंधिया को आवंटित कर दिया गया है और वो इस बंगले में रहना भी चाहते हैं। लेकिन उनके सामने एक परेशानी खड़ी हो गई है। दरअसल,पोखरियाल इस बंगले को खाली करना नहीं चाहते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बंगले में क्यों रहना चाहते हैं, इस बंगले से उनका क्या नाता है ?
सिंधिया के दिल के करीब है ये बंगला
बतादें कि नियमों के मुताबिक रमेश पोखरियाल को कैबिनेट मंत्री पद से हटने के बाद एक महीने के अंदर बंगला खाली कर देना था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसी कारण से इस बंगले को नए नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अलॉट भी कर दिया गया। लेकिन पोखरियाल ने इस बंगले को खाली करने से इंकार कर दिया है। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात करें तो ये बंगला उनके दिल के करीब है। सुत्रों के अनुसार सिंधिया ने इस बंगले के लिए प्रधानमंत्री मोदी से भी बात की थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया की पुरानी और अहम यादें इस बंगले से जुड़ी हुई है।
इस बंगले में उनका बचपन बिता है
दरअसल, 80 के दशक में ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस पार्टी से बड़ी जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे थे। राजीव गांधी सरकार में उन्हें रेल मंत्री बनाया गया था। बतौर मंत्री माधवराव सिंधिया को यही बंगला अलॉट किया गया था। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया 13 साल के थे। ज्योतिरादित्य का ज्यादातर बचपन इसी बंगले में बीता है। कहा जाता है कि उनके पिता माधवराव सिंधिया इस बंगले में राजदरबार भी लगाया करते थे। जहां भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता उनसे मिलने आते थे। जब माधवराव सिंधिया का एक हवाई जहाज हादसे में निधन हो गया था तब भी इसी बंगले से उनकी अंतिम यात्रा निकली थी। यही कारण है कि 27 सफदरजंग रोड स्थित इस बंगले से ज्योतिरादित्य सिंधिया को इतना लगाव है।
पिता के नेम प्लेट को कभी नहीं हटाया
आपको बता दें, कि 2019 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया इसी बंगले में रहते आ रहे थे। साल 2001 से यह बंगला उनके नाम पर अलॉट था। खास बात यह है कि उन्होंने इस बंगले पर कभी भी अपनी नेम प्लेट नहीं लगाई। बंगले के बाहर हमेशा उनके पिता माधवराव सिंधिया की नेम प्लेट ही लगी रही। साल 2019 में जब वे गुना से चुनाव हार गए तो उन्हें मजबूरी में यह बंगला छोड़ना पड़ा। लेकिन अब जब सिंधिया भाजपा में हैं और राजसभा सांसद के साथ-साथ नागरिक उड्डयन मंत्री है तो एक बार फिर से वे इसी बंगले में रहना चाहते हैं। वर्तमान में संधिया अपने दिल्ली स्थिति निजी आवास में रहते हैं।
बंगला अलॉट करने के क्या हैं नियम?
बतादें कि सांसदों और मंत्रियों को उनके अनुभव और ओहदे के अनुसार बंगले अलॉट किए जाते हैं। अगर कोई सांसद पहली बार सदन में आया है तो उसे छोटा आवास मिलता है। जबकि कई बार सांसद रह चुके नेताओं को बड़ा आवास अलॉट किया जाता है। इसी तरह से कैबिनेट मिनिस्टर के लिए और बड़ा आवास अलॉट किया जाता है। आवास अलॉटमेंट के लिए बाकायदा एक रूल बुक है। इसमें बंगलों को उनके साइज और लोकेशन के हिसाब से कई टाइप में बांटा गया है। 27 सफदरगंज रोड़ पर स्थित यह बंगला टाइप 8 में आता है। इसमें 7 कमरे हैं और एक सर्वेंट क्वार्टर भी है। नियमों के अनुसार ये बंगला सरकार के किसी मंत्री, ज्यूडीशियल अथॉरिटी या राज्यसभा सांसद को दिया जा सकता है।