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नई दिल्ली। नवरात्र के मौके पर आपने एक भजन जरूर सुना होगा। ‘तूने मुझे बुलाया शेरावालिये’। ये भजन कभी न कभी तो आपके कानों में जरूर पड़ा ही होगा। इस भजन को फिल्म ‘आशा’ में गाया था नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) ने। जो दुनियाभर में मशहुर हो गया। उनके गाए कई ऐसे भजन हैं जो हम अक्सर सुना करते हैं और आगे भी सुनेंगे। लेकिन अब इन भजनों को गाने वाले नरेंद्र चंचल इस दुनिया में नहीं हैं। शुक्रवार को दिल्ली के अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) में उनका निधन हो गया है। वह 80 साल के थे और कई महीनों से बीमार चल रहे थे। नरेंद्र चंचल को ज्यादातर हमने भजन गाते हुए ही देखा है। उनके जीवन के बारे में कम ही लोग जानते हैं। आज हम आपको उनसे जुड़े कुछ ऐसे ही किस्सें बताएंगे जिसे कम ही लोग जानते हैं।
पंजाब के रहने वाले थे नरेंद्र चंचल
नरेंद्र चंचल का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनके पिता शेयर मार्केट में पैसा लगाते थे। लेकिन एक वक्त ऐसा आया कि उन्हें मार्केट से काफी नुकसान उठाना पड़ा। वे काफी परेशान रहने लगे और उनकी पत्नी यानी कि नरेंद्र चंचल की मां कैलाशवती भगवान से दिन रात विनती करने लगी कि किसी तरह उनका परिवार सुरक्षित हो जाए। इस दौरान वो घर पर ही भजन गाया करती थीं। हालांकि इससे उस वक्त कुछ ज्यादा फायदा नहीं हुआ और व्यापार में हुए घाटे के कारण बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होने लगी। यही कारण है कि नरेंद्र चंचल बचपन में काफी शौतानियां करने लगे थे।
बचपन में काफी बदमाश थे चंचल
नरेंद्र चंचल बचपन में काफी बदमाश थे। स्कूल ना जाने के कारण वे दिनभर अपने दोस्तों के साथ खेलते रहते थे। अपने दोस्तों के साथ मिलकर कूड़े से सिगरेट के खाली डिब्बी बीनते थे और उसे ताश के पत्ते बनाकर खेलते रहते थे। हालांकि मां को देख उन्होंने भी भजन गाना शुरू कर दिया था। उनकी मां कैलाशवती (Kailashvati) जब भी भजन गाती थी तो नरेंद्र चंचल उसे बड़े ध्यान से सुनते रहते थे। मां से ही भजन गाने की ट्रेनिंग उन्हें मिली थी। वो जब भी गाती थीं, चंचल सुर में सुर मिलाकर भजन गाने लगे थे। जब उनका पहला एलबम ‘तेरे नाम दी जपा माला ओ शेरावालिये’ रिलीज हुआ तो उस दौर के सारे भजन एलबम के रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।
भेंट गाने से मना करने पर चली गई थी आवाज
एक बार चंचल अपने घर पे थे। कुछ लोगों ने उन्हें पास के ही काली मंदिर में भेंट गाने के लिए बुलाया। लेकिन वे वहां नहीं गए और कह दिया कि मैं बीमार हूं। दरअसल, उन्हें एक भजन को रिकॉर्ड करने के लिए मुंबई जाना था। नरेंद्र जैसे ही मुंबई पहुंचे उनका आवाज ही बंद हो गया। वो कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करें। तभी उन्हें याद आया कि मैंने माता के भेंट गाने से मना कर दिया है इस कारण से मां ने मुझे सजा दी है। वे तुरंत ही उल्टे पावं अमृतसर अपने घर लौट गए और मंदिर में वापस जाकर माफी मांगी तब जाकर उनकी आवाज वापस आई।