भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में मानव संसाधन मंत्री रहे अर्जुन सिंह (Arjun Singh) ने आज ही के दिन 4 मार्च 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। वे कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। साथ ही उन्हें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) का राजनीतिक गुरू भी माना जाता है। हालांकि उनका राजनीतिक करियर हमेशा विवादों से जुड़ा रहा।
विवादों में हमेशा रहते थे
दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी माने जाने वाले भोपाल गैस कांड के दौरान भी उनकी भूमिका सवालों के घेरे में आई थी। इसके अलावा राम मंदिर विवाद मामला और कुख्यात डाकुओं के समर्पण आदि को लेकर भी वे विवादों में बने रहते थे। आज हम आपको उनके ऐसे ही एक विवाद से जुड़े किस्से को बताएंगे। जिसमें उन्हें एक दिन के बाद ही मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा
1957 में पहली बार बने थे विधायक
अर्जुन सिंह का जन्म 5 नवंबर 1930 को मध्यप्रदेश के सीधी जिले के चुरहट कस्बे में हुआ था। इनके पिता राव शिव बहादुर सिंह भी पहले से ही राजनीति में थे। साल 1957 में अर्जुन सिंह पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1963 में उन्हें द्वारका प्रसाद मिश्रा की सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया। इसके अलावा जनसंपर्क विभाग में भी मंत्री रहे। 1972 से 1977 के बीच वे मप्र के शिक्षामंत्री भी रहे। लेकिन इस साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई और उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
महज एक दिन के लिए बने CM
अर्जुन सिंह अपने राजनीतिक करियर में धीरे-धीरे कर आगे बढ़ते गए। तीन साल बाद ही 1980 में मध्यप्रदेश में फिर से विधानसभा चुनाव हुए और इस बार कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। अर्जुन सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपना बतौर मुख्यमंत्री पहला कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद साल 1985 में कांग्रेस फिर से भारी बहुमत से सत्ता में आई। अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री भी बनाया गया। लेकिन महज एक दिन के लिए। क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) नहीं चाहते थे कि अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री बने और उन्हें पंजाब का बतौर राज्यपाल बना दिया गया। ऐसे में अर्जुन सिंह को शपथ लेने के अगले ही दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
उनका कांग्रेस के ही कई नेताओं से विवाद था
हालांकि वे ज्यादा दिन तक मध्य प्रदेश से दूर नहीं रह सके। एक बार फिर से उन्हें तीसरी बार 14 फरवरी 1988 को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। कहा जाता है कि अर्जुन सिंह वैसे नेताओं में से थे जिनका कांग्रस में ही कई नेताओं से विवाद था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव का नाम सबसे उपर आता है। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें कांग्रेस से बाहर भी होना पड़ा था। हलांकि 1996 के लोकसभा चुनाव सतना से हारने के बाद वे एक बार फिर से कांग्रेस में वापस लौट आए थे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अर्जुन सिंह वैसे नेताओं में से थे जिन्हें अपने उसूल के सामने झुकना नहीं आता था।
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