Advertisment

खिलौनों के लिये अनिवार्य बीआईएस नियम बनाने का मकसद खराब गुणवत्तता के आयात पर अंकुश लगाना है: गोयल

author-image
Bhasha
भारत ने 2015-20 के दौरान व्यापार को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए: डब्ल्यूटीओ

नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग तथा उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि सरकार ने एक जनवरी से खिलौनों के लिये भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) गुणवत्ता मानकों को अनिवार्य कर दिया है। इसका मकसद सस्ते और हल्की गुणवत्ता वाले उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाना है।

Advertisment

हालांकि, गोयल ने इस बात पर भी जोर दिया कि वह विदेशों से आयात को रोकना या अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव को बंद नहीं करना चाहते।

मंत्री के अनुसार गुणवत्ता मानदंड को अनिवार्य बनाया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्थानीय और आयातित खिलौने उच्च गुणवत्तता के हों। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का इरादा घरेलू उद्योग के लिये बाधा बनना नहीं है।

भारतीय मानक ब्यूरो के 74वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि अनिवार्य गुणवत्ता मानदंड लागू करने का कारण सस्ते खिलौना आयात पर अंकुश लगाना है जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक होते है।

Advertisment

हालांकि, मंत्री ने कहा कि सरकार आयात या अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव को बंद नहीं करना चाहती।

उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जो भी देश में आये, वह उच्च गणवत्ता का हो और जो भी यहां बने, वो और भी बेहतर गुणवत्ता का हो।’’

गोयल ने कहा कि गुणवत्ता उत्पादों का उत्पादन महंगा नहीं है। वस्तुओं को लागत प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये गुणवत्ता और उत्पादकता का साथ होना जरूरी है।

Advertisment

उन्होंने यह भी कहा कि सस्ते उत्पादों के आयात से भारतीय बाजार को नुकसान होता है। इस प्रकार के उत्पाद अल्पकाल में जरूर सस्ते नजर आते हैं लेकिन दीर्घकाल में स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक होते हैं।

मंत्री ने कहा कि स्थानीय खिलौना उद्योग ने सरकार के खिलौनों के लिये मानक अनिवार्य किये जाने के फैसले का विरोध किया। इसका कारण उद्योग बहुत कम विनिर्माण करता है और धीरे-धीरे आयातक बन गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि खराब और बेकार उत्पादों का आयात समाप्त हो। इसीलिए हमने मानक व्यवस्था लागू की है। यह एक जनवरी से प्रभाव में आएगा।’’

Advertisment

बीआईएस का खिलौना (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश एक सितंबर, 2020 से अमल में आना था लेकिन उद्योग की मांग पर इसे टाल दिया गया गया था।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें