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The Diamond Planet: खुद पूरा का पूरा हीरे से बना है ये ग्रह, मात्र 18 घंटे में पूरा हो जाता एक साल

क्या आपने कभी विचार किया है कोई एक ग्रह पूरा का पूरा कोहिनूर हीरे की तरह है जिसकी हर एक परत में हीरे की बनी है।

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Bansal News
The Diamond Planet: खुद पूरा का पूरा हीरे से बना है ये ग्रह, मात्र 18 घंटे में पूरा हो जाता एक साल

The Diamond Planet: अक्सर हम अंतरिक्ष और इसरो से जुड़ी कई जानकारियों के बारे में कम ही जानते है सौर मंडल के 9 ग्रहों के बारे में तो आप जानते है, साथ ही उनकी उपयोगिता भी। क्या आपने कभी विचार किया है कोई एक ग्रह पूरा का पूरा कोहिनूर हीरे की तरह है जिसकी हर एक परत में हीरे की बनी है। क्या आपने विचार किया है कि, जब इस ग्रह पर वैज्ञानिक पर कदम रख ले तो हर कोई इंसान हीरे का व्यापारी कहलाएगा।

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जानिए क्या है ग्रह का नाम और धरती से दूरी

आपको बताते चलें, इस अनूठे हीरे के ग्रह का नाम आधिकारिक तौर पर 55Cancri E है इसे वैज्ञानिकों ने साल 2004 में  जिसे रेडियल वेलोसिटी के जरिए खोज की थी। जैसे कि, सूरज की ओर हर ग्रह चक्कर लगाते है ये ग्रह सूरज का चक्कर नहीं लगाता है। ये उन तारों का चक्कर लगाता है जिसका कार्बन अनुपात ज्यादा होता है, यही वजह है कि इस ग्रह को कुछ लोग एक्सो प्लैनेट भी कहते हैं।

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जानिए कैसे हुआ ग्रह का निर्माण

एक हीरे की तरह ही इस ग्रह का निर्माण होना माना जाता है प्राकृतिक रूप से जब कार्बन बहुत अधिक तापमान पर गर्म हो जाए, हीरे का निर्माण हो  जाता है ऐसे ही इस ग्रह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ,  इस ग्रह पर भी कार्बन का अनुपात ज्यादा है और यह जिन तारों का चक्कर लगाता है उन पर भी कार्बन का अनुपात ज्यादा है।

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ऐसे में जब ये ग्रह कार्बन के तारों का चक्कर लगाते हैं तो कई बार इनका तापमान इतना ज्यादा हो जाता है कि इन पर मौजूद ग्रेफाइट हीरे में बदल जाता है। इसकी हर एक परत हीरे की होती है।

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ग्रह से जुड़ी खास बातें

अगर इस हीरे वाले ग्रह की कुछ बातों के बारे में आप और जानना चाहते है तो खास बात यह है कि, धरती पर जहां पर एक साल पूरा करने में 365 दिनों का समय लगता है लेकिन इस ग्रह में एक साल मात्र 18 घंटे में एक साल पूरा हो जाता है।

इतना ही नहीं इस ग्रह के तापमान की बात करें तो ये 2000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है, वहीं पृथ्वी से इसकी दूरी की बात करें तो ये धरती से 40 प्रकाश वर्ष दूर है। लेकिन इस ग्रह पर कदम रखने के लिए भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा अपनी तकनीकों के साथ इस ग्रह पर कदम रखने की तैयारी कर रहे है।

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