नई दिल्ली। सड़क सुरक्षा को देखते हुए केंद्र सरकार जल्द ही बच्चों के लिए कुछ सख्त नियम बना सकती है। आपको बता दें कि कार में बच्चों की सुरक्षा के लिए पहले से ही नियम हैं, वहीं अब सरकार दोपहिया वाहनों के लिए भी सख्त नियम बनाने जा रही है।
बच्चों के लिए हेलमेट अनिवार्य
गौरतलब है कि पहले महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य करने के बाद अब सरकार 2-व्हीलर पर पीछे बैठे बच्चों के लिए भी हेलमेट अनिवार्य करने जा रही है। सरकार ने इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम- 1989 के नियमों में संसोधन का प्रस्ताव रखा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने नियमों का एक मसौदा आम नागरिकों की राय जानने के लिए जारी किया है। एक बार अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो भी ये नियम लागू हो जाएंगे।
40 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं चला सकते
बतादें कि बच्चों के लिए हेलमेट पहनने का नियम अनिवार्य होने के बाद यदि किसी 2-व्हीलर पर पीछे 9 महीने से लेकर 4 साल तक का बच्चा सवारी करता है तो उसे एक क्रैश हेलमेट या साइकिल के साथ पहने जाने वाला हेलमेट पहनना अनिवार्य होगा। साथ ही अगर आप बच्चे के साथ 2-व्हीलर की सवारी कर रहे हैं तो आपको स्पीड लिमिट का भी ध्यान रखना होगा। आप इस स्थिति में बाइक या स्कूटर की लिमिट 40 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं कर सकते। अगर आप इस नियम का उल्लंघन करते हैं तो आपको 1 हजार रूपये का फाइन देना होगा। साथ ही तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस भी जब्त हो सकता है।
सेफ्टी हार्नेस का भी है प्रस्ताव
इतना ही नहीं सरकार ने बच्चों के लिए 2-व्हीलर पर सेफ्टी हार्नेस को भी अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया है। सेफ्टी हार्नेस एक एडजस्टेबल जैकेट की तरह होता है, जिसमें स्ट्रैप होती हैं और ये बच्चों को ड्राइवर से जोड़ देती हैं। इस सेफ्टी हार्नेस का वजन हल्का, वाटरप्रूफ और टिकाऊ होना जरूरी है। साथ ही हार्नेस 30 किलोग्राम तक का वजन उठाने में सक्षम होना चाहिए।
2023 से इसे लागू किया जा सकता है
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सड़क परिवहन मंत्रालय व राजमार्ग मंत्रालय ने नोटिफिकेशन पर आपत्ति देने का समय नवंबर के अंत तक तय किया है। इस समय तक जो भी आपत्तियां आएगी उसका समाधान किया जाएगा। इसके बाद गजट जारी कर संशोधन कर दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार, इस नियम को जनवरी 2023 से लागू किया जा सकता है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक 2019 में देशभर में हुए सड़क हादसों में 11 हजार 168 बच्चों की मौत हुई थी। अगर औसतन इस आंकड़े को देखे तो एक दिन में 31 बच्चों की जानें गईं जो सड़क हादसे से होने वाली मौतों का आठ फीसदी है।