Thrissur Pooram 2023: ‘स्वयं भगवान का देश’ या ‘भगवान का अपना देश’ (God’s Own Country) के नाम से प्रसिद्ध केरल को उत्सवों का राज्य भी कहा जाता है। यहां के उत्सवों की परंपरा में त्रिशूर पुरम एक ऐसा उत्सव है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा सभा उत्सव माना जाता है। यह आज यानी एक मई से शुरू हो गया है, जो दो दिनों तक चलेगा.
इस तिथि को होता है त्रिशूर पुरम
त्रिशूर पुरम उत्सव मलयालम पंचांग के अनुसार, मेडम महीने की पूरम तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस तिथि को भगवान शिव का पुनर्जन्म हुआ था। अंग्रेजी महीने के अनुसार, यह अप्रैल-मई के महीने में आयोजित होता है.
त्रिशूर पूरम 2023: तिथि और समय
— पूरम नक्षत्रम प्रारंभ: 30 अप्रैल 2023 – दोपहर 03:30 बजे तक
— पूरम नक्षत्रम समाप्ति: 1 मई 2023 – 05:51 बजे तक
— मुख्य वेदिकेट्टु कार्यक्रम: 1 मई 2023 – दोपहर 03:00 बजे
कहां आयोजित होता है त्रिशूर पुरम
त्रिशूर पूरम उत्सव हर साल पूरम तिथि को केरल के त्रिशूर नामक शहर के वडक्कुनाथन मंदिर में आयोजित किया जाता है। वडक्कुनाथन मंदिर केरल का एक सबसे प्राचीन मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में यह परंपरा 200 से भी अधिक सालों से चली आ रही है। इसे कोच्चि राज्य के महाराज सकथान थामपुरन ने शुरू किया था, जिसका उद्देश्य केरल के सभी मंदिरों के बीच एकता स्थापित करना था।
प्रकृति, पशु और मानव सह-संबंध का उत्सव
केरल न केवल प्राकृतिक रूप से दर्शनीय है, बल्कि यहां के त्योहार भी बहुत भव्य और मनमोहक होते हैं। इस राज्य के त्योहारों और उत्सवों की एक सबसे बड़ी विशेषता होती है, प्रकृति, पशु और मानव के अटूट सह-संबंध को उजागर करना। त्रिशूर पूरम (Thrissur Pooram) भी एक ऐसा ही उत्सव है।
केरल के सभी त्योहारों में पशुओं को भी शामिल किया जाता है, जिसमें हाथी प्रमुख है। यहां हाथी बहुत शुभ जाता है। त्रिशूर पूरम उत्सव के लिए हाथियों को विशेष रुप से तैयार किया जाता है।
त्रिशूर पुरम में क्या होता है?
त्रिशूर पुरम उत्सव दो समूहों के बीच होता है: परमेक्कावु और थिरुवंबादी। इस उत्सव में हाथियों का जुलूस आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है। इसे देखने के लिए केवल भारत से नहीं बल्कि दुनिया भर के पर्यटक आते हैं।
इस उत्सव में त्रिशूर के त्रिरूवामबाड़ी कृष्ण मंदिर, पारामेकावु देवी मंदिर, वड़ाकुंठा मंदिर साहित आस-पास के अन्य छह मंदिर भाग लेते हैं। प्रत्येक मंदिर समूह को 15-15 हाथियों को प्रदर्शित करने की अनुमति होती है। हाथियों की साज-सज्जा, प्रदर्शन और अनुशासन के आधार पर उसमें एक एक समूह को दक्षिण भारत का सबसे बेहतरीन हाथी और छतरी रखने की प्रशस्ति प्रदान के जाती है।
त्रिशूर पुरम के अन्य आकर्षण
सुसज्जित हाथियों का जुलुस के अलावे केरल का पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य इस त्रिशूर पुरम (Thrissur Pooram) के विशेष आकर्षण हैं। त्रिशूर पूरम उत्सव की एक और बड़ी विशेषता है, इसका धर्मनिरपेक्ष होना। मुस्लिम और ईसाई समुदाय बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। उत्सव के लिए ज्यादातर पंडाल मुस्लिम समुदाय के शिल्पकार ही बनाते हैं।
वर्तमान में यह उत्सव आस्था और हाथियों के जुलुस के साथ-साथ आतिशबाजियों की भव्य प्रदर्शनी के लिए जाना जाता है। वास्तव कहा जाए, तो यह एक भव्य रंगीन मंदिर उत्सव है। इससे राज्य को अच्छी मात्रा में राजस्व भी प्राप्त होता है।
Thrissur Pooram #ThrissurPooram, त्रिशूर पुरम #त्रिशूरपुरम