Coimbatore Smart City: कोयंबटूर के मध्य में 300 एकड़ में फैली विशाल पेरियाकुलम झील कुछ साल पहले तक प्रदूषण, अतिक्रमण और गंदगी का शिकार थी, लेकिन अब यह धूप में चमकती है और ऐतिहासिक शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गई है। यह बदलाव शहर की सदियों पुरानी सात झीलों को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू की गई एक स्मार्ट सिटी परियोजना के माध्यम से आया है। इन झीलों का क्षेत्र में प्राचीन काल से ही सिंचाई प्रणाली के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
कोयंबटूर के नगर आयुक्त एम प्रताप ने कहा, “झीलों की इस व्यापक प्रणाली की सफाई और कायाकल्प कोयंबटूर स्मार्ट सिटी के तहत सबसे बड़ी परियोजना है। हमारे शहर को इस पहल के लिए चुना गया था। इस पर काम 2017 में शुरू हुआ था और हमने स्मार्ट सिटी के तहत इन सात झीलों के पुनरुद्धार को एक प्रमुख और महत्वाकांक्षी परियोजना के रूप में चुना, ताकि न केवल प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से जीवंत किया जा सके, बल्कि तेजी से विकसित हो रहे शहर में अधिक पर्यटन स्थल भी तैयार किए जा सकें।”
कोयंबटूर स्मार्ट सिटी के सीईओ प्रताप ने शुक्रवार को एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) में उस पहल के तहत शुरू की जा रही विभिन्न परियोजनाओं पर एक पावरप्वाइंट प्रस्तुति दी, जिसके लिए 2016 में शहर को चुना गया था। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी के तहत परियोजनाओं का ”लगभग 92 प्रतिशत काम” पूरा हो चुका है और बाकी काम इस साल सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। कोयंबटूर स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक बास्कर श्रीनिवासन का कहना है कि नोय्यल नदी घाटी में झीलों के कायाकल्प ने प्रवासी पक्षियों को भी इन जलाशयों की ओर आकर्षित किया है।
उन्होंने बताया कि पेरियाकुलम झील के किनारे के इलाके को विशेष रूप से कलाकृतियों से सजाया गया है और वहां साइकिल ट्रैक व रंगभूमि भी बनाई गई है। श्रीनिवासन ने कहा, “इन झीलों का निर्माण आठवीं शताब्दी में चोल राजवंश ने करवाया था, और कोयंबटूर की सबसे बड़ी झील पेरियाकुलम लगभग 30 झीलों की व्यापक प्रणाली का हिस्सा है, जिसका उपयोग प्राचीन काल में सिंचाई के लिए किया जाता था। ये झीलें उपेक्षित, प्रदूषित और अतिक्रमण की शिकार हो गई थीं। गाद जमा होने से इनकी जल धारण क्षमता भी कम हो गई थी।”
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