Tehsildar-Patwari Suspended: छत्तीसगढ़ रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है। इसको लेकर जमीन अधिग्रहण की गई है। इसी के चलते केंद्र सरकार ने जमीन प्रभावितों के लिए मुआवजा निर्धारित किया था।
ऐसे में तहसील के अफसरों ने मुआवजा देने में फर्जीवाड़ा (Tehsildar-Patwari Suspended) कर दिया है। इस दौरान करीब 42 करोड़ का फर्जीवाड़ा अधिकारियों ने किया है। इस मामले की जांच के बाद एक तहसीलदार और तीन पटवारियों को सस्पेंड कर दिया है।
नायब तहसीलदार, तीन पटवारी सस्पेंड
इस मामले की प्रारंभिक जांच (Tehsildar-Patwari Suspended) रिपोर्ट सामने आई। इस रिपोर्ट के बाद गोबरा नवापारा के तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण और पटवारी जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल और लेखराम देवांगन को निलंबित कर दिया गया है। वहीं भू- अर्जन में गड़बड़ी की शिकायत भी मिली है।
इस मामले की पहले तत्कालीन रायपुर कलेक्टर ने जांच कराई थी। इस जांच में गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। इसी के चलते अभी इस जगह पर भू-स्वामियों ने 2.41 किमी तक कॉरिडोर के काम पर भी रोक लगा दी गई है। इसी के कारण इस प्रोजेक्ट का कार्य भी रुका हुआ है।
वास्तविक से ज्यादा मुआवजा
जानकारी मिली है कि अभनपुर में अधिकारियों ने इकॉनोमिक कॉरिडोर (Tehsildar-Patwari Suspended) की जद में आने वाली जमीन का अधिग्रहण किया है। इन जमीन मालिकों को अधिग्रहण के दौरान वास्तविक से अधिक मुआवजा दिला दिया। इस मामले में ये माना मिलीभगत की बात सामने आई है। इसी के चलते इस मामले की शुरुआती जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है।
इस तरह से किया अफसरों ने खेल
केंद्र की ओर से जानी जमीन अधिग्रहण (Tehsildar-Patwari Suspended) के नियमों के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसी नियम के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 500 वर्गमीटर से कम जमीन है तो उसका मुआवजा ज्यादा मिलता है। यदि 500 वर्गमीटर से जमीन अकिध है तो उसका रुपया कम मिलता है।
आप इसको ऐसे समझें कि एक एकड़ जमीन का मुआवजा 20 लाख रुपए होगा। यदि इसी जमीन को टुकडों में बांट दिया जाए और 500 वर्गमीटर से कम किया जाए तो ये मुआवजा बढ़कर करीब एक करोड़ रुपए हो जाएगा। इधर ऐसा ही हुआ, जहां रायपुर- विशाखापट्टनम कॉरिडोर के पास होते ही बड़े-बड़े रसूखदार लोगों ने अधिकारियों से मिलीभगत कर अधिकतर जमीन को 500 वर्गमीटर से कम कर दिया। इसी वजह से मुआवजे की राशि बहुत अधिक बढ़ गई। इससे अफसरों को शक हुआ और इसकी जांच कराई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ।
विशाखापट्टनम की दूरी रायपुर से हो जाएगी कम
एनएचएआई (Tehsildar-Patwari Suspended) की माने तो वर्तमान में छत्तीसगढ़ से विशाखापट्टनम जाने के लिए 546 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता है। कॉरिडोर बनने से ये लंबाई घटकर 463 किमी हो हो जाएगी। इससे रायपुर से विशाखापट्टनम जाते समय 83 किमी की दूरी कम हो जाएगी। कॉरिडोर में प्रवेश करने के बाद यात्री कम समय में ये दूरी तय कर लेंगे, अभी यात्री जगदलपुर होकर विशाखापट्टनम जाते हैं।
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एनएचएआई की विजलेंस टीम से की शिकायत
छत्तीसगढ़ (Tehsildar-Patwari Suspended) के अभनपुर ब्लॉक में अधिकारियों ने जमीन मालिकों के साथ मिलीभगत की और 9 किलोमीटर की सड़क पर आने वाली जमीन का मुआवजा 342 करोड़ का बना दिया। जबकि नियम में करीब 300 करोड़ का मुआवजा होता है।
शासन की ओर से 246 करोड़ की राशि जमीन मालिकों को वितरित कर दी गई है। वहीं इन भू-स्वामियों को 78 करोड़ की राशि और दी जाना थी। इसी बीच एनएचएआई की विजलेंस टीम से अधिक मुआवजा बांटने की शिकायत कर दी गई। इसके बाद इस राशि के बांटने पर रोक लगा दी गई।
तीन राज्यों से होकर जाएगी सड़क
रायपुर से विशाखापट्टनम (Tehsildar-Patwari Suspended) तक 464 किलोमीटर सड़क तीन राज्यों से होकर जाएगी। यह सड़क छत्तीसगढ़ में 124.611 किमी, ओडिशा 262.211 किमी और आंध्र प्रदेश 99.629 किमी की सड़क है। इसके निर्माण में 4 हजार करोड़ के लगभग खर्च होंगे।
इसी रोड के निर्माण के दौरान केशकाल की पहाड़ियों में सुरंगनुमा सड़क का निर्माण होना है। यह सुरंग दुधावा डैम के पास से होकर कांकेर केशकाल की पहाड़ियों से होकर एक्सप्रेस-वे सलना-पलना के बाद ओडिशा में प्रवेश करेगी। इसी के साथ ही 70 किलोमीटर का एरिया वन विभाग में भी आ रहा है।
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