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Teachers Day: पढ़ाने के लिए टीचर होना जरूरी नहीं, बुरहानपुर में फॉरेस्ट गार्ड और पटवारी बच्चों को दे रहे फ्री एजुकेशन

Teachers Day 2025: मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में दो ऐसे शख्स हैं, जो सैकड़ों जरूरतमंदों का भविष्य गढ़ रहे हैं। सरकारी नौकरी के बाद खाली समय में बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं।

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sanjay warude
Teachers Day 2025

Teachers Day 2025

Teachers Day 2025: मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में दो ऐसे शख्स हैं, जो सैकड़ों जरूरतमंदों का भविष्य गढ़ रहे हैं। सरकारी नौकरी के बाद खाली समय में बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं। वें अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा उन बच्चों पर हर महीने खर्च कर रहे हैं। इनमें एक फॉरेस्ट गार्ड हैं तो दूसरा पटवारी हैं। फॉरेस्ट गार्ड ने इंग्लिश स्कूल खोल रखा है। पटवारी प्रतियोगी परीक्षा से स्पेशलिस्ट की टीम खड़ी कर रहे हैं, ताकि जरूरतमंदों को एमपीपीएसी, यूपीएससी, बीटेक, एमटेक के लिए तैयार करा सकें।

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पिता मुरैना में पंचायत सचिव, बेटा पटवारी

मुलत: मुरैना के रहने वाले 35 वर्षीय राहुल सिंह तोमर पेशे से पटवारी हैं। पिता मुरैना में बतौर पंचायत सचिव हैं। परिवार की स्थिति सामान्य है। छह साल पहले उनकी पहली पोस्टिंग बुरहानपुर जिले में हुई थी। वर्तमान में वह जिले के ग्राम जयसिंगपुरा में तैनात हैं।

[caption id="attachment_889631" align="alignnone" width="1102"]Teachers Day 2025 पटवारी राहुल सिंह तोमर छुट्टी के दिन 200 से ज्यादा बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा पढ़ा रहे।[/caption]

छुट्टी के दिन 200 बच्चों को पढ़ा रहे पटवारी

पटवारी राहुल सिंह तोमर कहते हैं, गांवों में ड्यूटी के दौरान लोगों के कमजोर हालात देखे, जिसके बाद से उनके बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया। छुट्टी के दिन 200 से ज्यादा बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहा हूं। ड्यूटी के बाद भी उन्हें पढ़ा रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षा में भी मदद कर रहे हैं।

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सैलरी का कुछ हिस्सा बच्चों पर कर रहे खर्च

पटवारी राहुल सिंह तोमर बताते हैं अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा इन बच्चों पर खर्च कर रहे हैं। जिले के चार बच्चों को गोद लिया हैं, उनकी पढ़ाई का खर्च उठा रहे। इनमें एक बच्चा ऐसा है, जिसके पिता जेल में सजा काट रहे है। कुछ के माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

आदिवासी इलाके में जगाया शिक्षा का अलख

बुरहानपुर जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र मांडवा में कमलेश रघुवंशी बतौर फॉरेस्ट गार्ड तैनात हैं। इससे पहले झिरपांजरिया में रहकर उन्होंने आदिवासी परिवारों में शिक्षा का अलख जगाया। जिन आंगनवाड़ियों में पहले इक्का-दुक्का बच्चे आते थे, आज वहां 50 से ज्यादा बच्चे पहुंच रहे हैं।

[caption id="attachment_889632" align="alignnone" width="1114"]Teachers Day 2025 झिरपांजरिया में फॉरेस्ट गार्ड कमलेश रघुवंशी ने आदिवासी परिवारों में शिक्षा का अलख जगाया।[/caption]

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आदिवासी बच्चों के लिए खोला इंग्लिश स्कूल

धुलकोट क्षेत्र के आदिवासी बच्चों के लिए विशेष रूप से इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू की, जहां कक्षा पहली से आठवीं तक के 200 बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं। यहां जिन शिक्षकों को नौकरी पर रखा है, उनकी सैलरी अपने वेतन से करते है। किसी भी बच्चे से कोई फीस नहीं ली जा रही।

सैलरी का बचा हिस्सा बच्चों पर कर रहे खर्च

फॉरेस्ट गार्ड कमलेश रघुवंशी कहते हैं कि बचपन में पढ़ाई के लिए जो तकलीफें मैंने उठाई है, मैं इन आदिवासी बच्चों में नहीं देखना चाहता। परिवार को चलाने के बाद बचती सैलरी का जितना हिस्सा बचता है, उसे बच्चों पर खर्च कर देता हूं। मांडवा में भी ऐसा ही अलख जगा रखा है।

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