नई दिल्ली। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया गया है। दरअसल, कोरोना काल में आकरदाताओं को कोई तकलीफ न हो, इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने यह फैसला लिया। नई तारीख के मुताबिक अब कोई व्यक्ति 30 सितंबर तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकता है। इसके साथ ही CBDT ने कंपनियों के लिए कर्मचारियों को जारी किए जाने वाले फॉर्म-16 की अवधि भी एक महीने के लिए बढ़ा दी है। वहीं, करदाताओं को इस बार एक नई सुविधा मिलने जा रही है जिसे ऑटो पॉपुलेटेड सिस्टम कहा जाता है।
क्या है ‘ऑटो पॉपुलेटेड सिस्टम’?
ऑटो पॉपुलेटेड का अर्थ है सभी डेटा का ऑटोमेटिक तौर पर अपने आप एक साथ आ जाना। दरअसल, अलग-अलग सोर्स से सभी जरूरी डेटा एक प्लेटफॉर्म पर एकत्रित हो जाते हैं और इसके लिए हमें अलग से कुछ नहीं करना होता है। बस एक बटन दबाना होता है। इस बार के इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR file) में यही सिस्टम को लागू हुआ है।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
मान लीजिए किसी टैक्सपेयर की कुछ जानकारी उसकी कंपनी के पास है, कुछ जानकारी CBDT के पास है, कुछ जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास है और कुछ व्यक्तिगत सूचनाएं जो पैन या आधार में दर्ज हैं, तो ये सभी जानकारियां कुछ मिनटों में एक साथ आ जाएंगी। करदाता को ये जानकारियां अब अपने से जुटा कर इनकम टैक्स फाइलिंग में नही देनी होगी। ऑटो पॉपुलेटेड सिस्टम ये सभी जानकारी कुछ मिनटों में अपने से एकत्रित कर लेगा। इससे आईटीआर का घंटों का काम कुछ मिनटों में निपट जाएगा।
इन सुविधाओं से काम हुआ आसान
इस नए सिस्टम में टैक्यपेयर की व्यक्तिगत जानकारियां जैसे एंटिजन नंबर या घर का पता आदि, वह अपने आप इनकम टैक्स रिटर्न में एड होकर आएगा और करदाता को उसे भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह सुविधा अपने आप में काफी अहम साबित होने जा रही है। पहले ये सब जानकारी एकसाथ जुटाने में काफी मशक्कत करनी होती थी।
फॉर्म-16 की अवधि बढ़ाई गई
अब कंपनियों की ओर से ज्यादा मोहलत लेकर कर्मचारियों के लिए फॉर्म-16 (form 16) जारी किया जाएगा। इस फॉर्म में कंपनी कर्मचारी की सैलरी और टैक्स कटौती के बारे में बताती है। इनकम टैक्स रिटर्न में इस फॉर्म को सबसे अहम हिस्सा माना जाता है। इसकी अवधि बढ़ाकर 15 जुलाई कर दी गई है। फॉर्म-16 मिलने के बाद कर्मचारी और व्यक्तिगत तौर पर भी कोई टैक्सपेयर आसानी से अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकता है।
सहेज कर रखें ये दस्तावेज
इसके लिए सबसे जरूरी दस्तावेज फॉर्म-16 है। अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में काम करता है तो उसे काम के बदले सैलरी मिलती है। कंपनी इस सैलरी पर टैक्स काटती है और सारा हिसाब लगाने के बाद कर्मचारी को फॉर्म-16 (form 16) पकड़ा देती है। ऐसे में इनकम टैक्स रिटर्न भरने चलें तो अपने पास यह फॉर्म-16 जरूर रखें। आईटीआर में आपको सैलरी, उस पर कंपनी की ओर से डिडक्शन और जो टैक्स चुकाए गए हैं, इसकी जानकारी देनी होती है। इनकम टैक्स रिटर्न (income tax return) में जो जानकारी दे रहे हैं, ध्यान रखें कि वही जानकारी फॉर्म-16 में होनी चाहिए। इसमें अंतर होने पर नोटिस आने की संभावना बढ़ जाती है।