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तानसेन शताब्दी समारोह: सम्मानित कलाकारों का अपमान, निमंत्रण देकर दो दिन पहले कार्यक्रम किया निरस्त

Tansen Samaroh 2024: ग्वालियर में होने वाले तानसेन समारोह 2024 को लेकर विवाद हो गया है। यह समारोह का शताब्दी साल है।

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Kushagra valuskar
तानसेन शताब्दी समारोह: सम्मानित कलाकारों का अपमान, निमंत्रण देकर दो दिन पहले कार्यक्रम किया निरस्त

Tansen Samaroh 2024: ग्वालियर में होने वाले तानसेन समारोह 2024 को लेकर विवाद हो गया है। यह समारोह का शताब्दी साल है। तानसेन सम्मान से सम्मानित 11 कलाकारों को पांच दिन पहले आमंत्रण दिया गया। उनके व्यवस्था के लिए उनसे यात्रा कार्यक्रम मांगा गया।

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संगीत सम्राट तानसेन के प्रति सम्मान और आयोजन को देखते हुए कलाकारों ने ऐनवक्त पर बुलाए जाने के बावजूद अपने अन्य कार्यक्रमों को छोड़कर तानसेन समारोह में आने की सहमति दी। इसके बाद अधिकारी कलाकारों के कॉल नहीं उठा रहे। फिर गुरुवार को उन्हें कार्यक्रम रद्द करने की जानकारी दी गई।

11 कलाकारों को बुलाया था

बताया गया कि 11 कलाकारों को बुलाया गया था। उनमें से पांच से छह लोग ही आएंगे। इसलिए कार्यक्रम से हिस्सा हटा दिया गया है। इससे कलाकारों में नाराजगी है। इस मामले में संस्कृति संचालनालय का कहना है कि उनकी तरफ से कोई संवाद नहीं किया गया है।

यह कलाकारों का अपमान है

संतूर वादक पंडित सतीश व्यास ने कहा कि हमें पांच से छह दिन पहले 15 दिसंबर के लिए आमंत्रित किया गया था। तानसेन के प्रति आदर को देखते हुए मैंने स्वीकृति दी। अब कार्यक्रम निरस्त कर दिए।

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ग्वालियर घराने के मूर्धन्य गायक विद्याधर व्यास ने कहा, 'संस्कृति विभाग की ओर से संजय मिश्रा ने हमसे बात की। एलके पंडित, डालचंद शर्मा जैसे बड़े कलाकारों को आमंत्रित किया गया था।' उन्होंने कहा कि गुरुवार रात कार्यक्रम निरस्त कर दिया।

कब से शुरू हो रहा 100वां तानसेन समारोह?

तानसेन समारोह का मुख्य आयोजन 15 दिसंबर से आरंभ होगा। इसके तहत सुबह 10 बजे से तानसेन समारोह का पारंपरिक कार्यक्रम होगा। इसमें मजीद खां व उनके साथी द्वारा शहनाई, ढोली बुआ महाराज संत, सच्चिदानंदनाथ व साथी द्वारा हरिकथा, मौलाना इकबाल व साथी द्वारा मीलाद की प्रस्तुति दी जाएगी। इसके बाद 350 कलाकारों द्वारा कर्ण महल के बाजू का परियर और किला ग्वालियर में समवेत प्रस्तुति दी जाएगी।

तानसेन समारोह का शेड्यूल

  • 15 दिसंबर, सायं 6.30 बजे से, तानसेन समाधि परिसर, हजीरा
  • माधव संगीत यूनिवर्सिटी, ग्वालियर- ध्रुपद गायन
  • भारती प्रताप- गायन
  • यूजी नाकागावा और शिगेरू मोरियामा, जापान- सारंगी-तबला
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16 दिसंबर प्रात: 10 बजे से तानसेन समाधि परिसर, हजीरा

  • सारदा नाद मंदिर- ध्रुपद गायन
  • हेमांग कोल्हटकर- गायन
  • भास्कर नाथ- शहनाई
  • प्रेमकुमार मलिक- ध्रुपद गायन
  • राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विद्यालय- ध्रुपद गायन
  • तावोर बेन दोर और तामोर क्लोपर, इजरायल- सितार, गायन, तबला
  • विवेक नवरे-सरोद
  • ऋत्विक सान्याल- ध्रुपद गायन
  • संतोष नाहर- वायलिन
  • पंडित अजय चक्रवर्ती- गायन

17 दिसंबर प्रातः 10 बजे से

  • तानसेन संगीत महाविद्लायल- ध्रुपद गायन
  • महेश मलिक और अमित मलिक- वायलिन
  • कमला शंकर- गिटार
  • भव्या सारस्वत- ध्रुपद गायन
  • अश्विन दलवी- सुरबहार
  • भारतीय संगीत महाविद्लायल- ध्रुपद गायन
  • एटिने केबरेट, क्रिस्टोफ रोचर, निकोलस पॉइंटर्ड, फ्रांस- म्यूजिक बैंड
  • नागराजराव हवलराद- गायन
  • रोनू मजूमदा- बांसुरी
  • शुभा मुद्रल- गायन
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