Online Real Money Gaming Ban: मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को ऑनलाइन रियल मनी गेम्स को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने तमिलनाडू सरकार के उस नियम को जारी रखा है, जिसमें रात के समय ऑनलाइन रियल मनी गेम्स खेलने पर पाबंदी लगाई गई थी। साथ ही आधार आधारित KYC वेरिफिकेशन को अनिवार्य किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एसएम सुब्रमिणियम और जस्टिस के राजाशेखर की बेंच ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनी और प्लेयर्स की दायर की याचिका को खारिज कर दिया। बेंच ने कहा पितृसत्तात्मक नजरिए से हटकर भी राज्य सरकार ने अपने लोगों की सेहत और भलाई की हिफाजत के लिए एक कदम आगे बढ़कर काम किया है, जो एक सही और जायज रोक है।
याचिका दायरों की मांग
याचिकाकर्ताओं ने तमिलनाडू गेमिंग ऑथोरिटी के नियमों को चैलेंज किया, जिसमें ऑनलाइ रियल मनी गेम्स खेलने के लिए KYC वेरिफिकेशन जरूरी है। इस नियम में गेमिंग कंपनियों को ‘Blank Hour’ (12 Am to 5 Am) में प्लेयर्स को गेम खलने से रोक लगाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
याचिका दायरों ने राईट टू प्राइवेसी का हवाला लेते हुए दलील पेश की है। कोर्ट ने अधिकार अपने साथ कुछ सीमाएं भी लेकर आते हैं कहकर दलीलों को खारिज कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, “गेमिंग कंपनियों ने तमिलनाडू प्रोहिबिशन ऑफ ऑनलाइन गैम्बलिंग और रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेम्स एक्ट 2022 की धारा 5(2) को धारा 14(1)(c) को पढ़ते हुए, और तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग ऑथोरिटी (रियल मनी गेम्स) रेगुलेशन 2025 के विनियम 4(iii) और विनियम 4(viii) को मनमाना, अवैध और असंवैधानिक घोषित करने की मांग की।”
नियम के नाम पर ऑनलाइन गेमिंग को बंद करने की कोशिश!
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सरकार रम्मी जैसे ऑनलाइन गेम्स पर सीधे पाबंदी नहीं लगा पा रही, इसलिए “नियमों के नाम पर” उन्हें बंद करने की कोशिश कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों ने सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम का हवाला देते हुए तर्क दिया कि यह मामला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए राज्य सरकार इस पर कोई कानून नहीं बना सकती।
याचिकाओं में KYC वेरिफिकेशन पर भी सवाल उठाए गए। कंपनियों ने कहा कि वे पहचान की जांच के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मान्य किसी भी दस्तावेज का इस्तेमाल कर सकती हैं, सिर्फ आधार को ही जरूरी बनाना सही नहीं है।
‘लोगों की सेहत का ख्याल रखना सरकार की जिम्मेदारी’
राज्य सरकार ने अपनी सफाई में कहा कि उसका (तमिलनाडू प्रोहिबिशन ऑफ ऑनलाइन गैम्बलिंग और रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेम्स एक्ट 2022 और मिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग ऑथोरिटी (रियल मनी गेम्स) रेगुलेशन 2025) अपने लोगों पर “पेरेंटल राईट” है और उनकी सेहत का ख्याल रखना उसकी जिम्मेदारी है।
सरकार ने तर्क दिया कि पहले भी कोर्ट के आदेशों में यह साफ किया गया है कि राज्य को लोगों की सेहत के लिए नियम बनाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि ये “पैरेंटल राइट” लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार ने ये भी कहा कि जो पाबंदियां लगाई गई हैं, वे बिल्कुल ठीक हैं और संविधान के अनुच्छेद 19(2) और 19(6) के तहत वैध और सुरक्षित हैं।
जहां तक आधार वेरिफिकेशन की बात है, सरकार ने कहा कि आधार ही एकमात्र दस्तावेज़ है जिसमें दो स्टेप वाला OTP वेरिफिकेशन होता है, जिससे नाबालिगों द्वारा गलत इस्तेमाल की संभावना काफी कम हो जाती है।
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