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उत्तरप्रदेश के आगरा से एक बड़ी खबर सामने आई है। ताजमहल के आसपास 500 मीटर के अंदर अतिक्रमण के खिलाफ नोटिस देने के मामले में ताजगंज वेलफेयर फाउंडेशन ने मंडलायुक्त अमित गुप्ता, जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल और एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ को नोटिस भेजा है। फाउंडेशन ने एडीए द्वारा जारी नोटिस को गलत बताया है, उन्होनंे नोटिस को वापस लेने को कहा गया है। इतना ही नहीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने की भी बात कही है।
ताजगंज वेलफेयर फाउंडेशन की अध्यक्ष अधिवक्ता शालिनी शर्मा ने आगरा के मंडलायुक्त, जिलाधिकारी और एडीए उपाध्यक्ष को नोटिस भेजते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल को प्रदूषण से बचाने और 200 मीटर की परिधि में अतिक्रमण हटाने का आदेश किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 01 मई, 1998 को आइटीडीसी के ताज रेस्टोरेंट और होटल ताज के संचालन की अनुमति दी थी। लेकिन एडीए कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है। संस्था के सदस्य व ताजगंज के दुकानदार अतिक्रमणकारी नहीं हैं। एडीए नोटिस वापस ले और कारोबारियों पर कार्रवाई नहीं करे।
रोजी रोटी पर संकट
ताजगंज डवलपमेंट फाउंडेशन ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन एडीएम प्रोटोकाल हिमांशु गौतम को भी दिया है। जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश ताजमहल की चहारदीवारी से 500 मीटर की परिधि में अतिक्रमण हटाने को लेकर है। यहां व्यापार करने वाले लोगों पर अगर कार्रवाई की जाती है तो 50 हजार लोग प्रभावित होंगे। एडीए ने 17 अक्टूबर तक अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी किया है। जिसे वापस लिया जाए। नोटिस के चलते व्यावसाय करने वालों में तनाव की स्थिति है।
विरोध में लगे काले झंडे
एडीए द्वारा जारी नोटिस का लोगों ने विरोध किया है। लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए अपनी दुकानों पर काले झंडे लगा लिए हैं। लोगांे ने एडीए द्वारा जारी नोटिस को वापस लेने की मांग की है।
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