नई दिल्ली| Surya Jayanti 28 jan 2023 सूर्य देव को सभी देवों में श्रेष्ठ माना जाता है। jyotish ऐसी मान्यता है सूर्य देव jan vrat tyohar को जल अर्पित करने से सभी देवी—देवताओं Rath saptami 2023 की पूजा मानी जाती है। ऐसे में एक खास दिन 28 जनवरी को आने वाला है जब भगवान सूर्य की विशेष कृपा पाई जा सकती है। जी हां प्रतयेक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष सूर्य जयंती 28 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस दिन अगर भगवान सूर्य के विशेष मंत्रों का जाप किया जाए तो इससे सूरज नारायण की विशेष कृपा बनी रहती है। तो चलिए जानते हैं सूर्य सप्तमी पूजा की सही विधि और मंत्र क्या हैं।
सूर्य जयंती की सही पूजा विधि (Surya Jayanti 2023 Puja Vidhi) —
रथ सप्तमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त यानि सूर्योदय से पहले उठें। उसके बाद किसी पवित्र नदी में स्नान करने से विशेष लाभ मिलता है। यदि ऐसा करना संभव न हो तो नहाने के पानी में नर्मदा या गंगा जल डालकर स्नान किया जा सकता है। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करके सूर्य नारायण को अर्घ्य दें। फिर तिल के तेल का दीपक जलाकर इसे जल में प्रवाह कर दें। यदि ऐसा करना संभव न हो तो इसे पूजा स्थल पर स्थापित किया जा सकता है।
इसके बाद पूरे विधिविधान से गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि के साथ सूर्य देव की उपासना करके और सूर्य देव के मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करें। आपको बता दें ज्योतिषाचार्यों के अनुसार विशेष दिन में दान का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए यथा संभव हो सके तो किसी योग्य ब्राहृण को अन्न, वस्त्र आदि दान करें। इसके बाद सबसे अंत में सूर्य देव की आरती करके भगवान से आपके द्वारा अज्ञातवश हुई भूलचूक के लिए क्षमा मांगे। इसके बाद प्रसाद का भोग लगाकर स्वयं ग्रहण करें साथ ही सभी को बांटे।
ये रहे सूर्य देव की उपासना के मंत्र (Surya Jayanti 2023 Mantra) –
1. ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ।।
2. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: ।।
3. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।।
4. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ।।
5. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।
6. ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:।
7. ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते ।।
सूर्य जयंती व्रत की कथा (Surya Jayanti/Saptami Vrat Katha)
एक बार भगवान श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने पूछा कि कलयुग में कोई स्त्री किस व्रत को करने से सौभाग्यवती हो सकती है। इस पर श्रीकृष्ण ने जबाव में युधिष्ठिर को एक कथा सुनाई और बताया कि प्राचीन काल में इंदुमती नाम की एक वेश्या एक बार ऋषि वशिष्ठ के पास गई और कहा कि हे मुनिराज मैंने आज तक कोई धार्मिक कार्य नहीं किया है। मुझे बताएं कि मुझे मोक्ष कैसे मिलेगा। वेश्या को वशिष्ठ मुनि ने बताया कि स्त्रियों के लिए कल्याण, मुक्ति और सौभाग्य देने वाला अचला सप्तमी से बढ़कर कोई व्रत नहीं है। इसलिए तुम इस व्रत को करो, तुम्हारा कल्याण होगा। इंदुमती ने उनके उपदेश के आधार पर विधिपूर्वक व्रत को किया और उसके प्रभाव से शरीर छोड़ने के बाद स्वर्ग लोक में गई। वहां उसे सभी अप्सराओं में सबसे ऊंचा स्थान दिया गया।
रथ सप्तमी या सूर्य जयंती मुहूर्त —
रथ सप्तमी 2023: तिथि और समय
रथ सप्तमी 2023: शनिवार, 28 जनवरी, 2023
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 27 जनवरी 2023 को सुबह 09:10 बजे
सप्तमी तिथि समाप्त: 28 जनवरी 2023 को सुबह 08:43 बजे
रथ सप्तमी पर स्नान मुहूर्त: सुबह 05:26 से सुबह 07:12 बजे तक
अवधि: 01 घंटा 46 मिनट