Surya Gochar in Kanya Effect: गणेश उत्सव का समय चल रहा है। 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2024) की समाप्ति के साथ ही श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएंगे। आपको बता दें अनंत चतुर्दशी के दिन ही सूर्य बुध की राशि कन्या (Kanya me Surya ka Pravesh) में प्रवेश करेंगे।
अभी तक अपने घर में बैठे सूर्य अब बुध के घर में प्रवेश कर जाएंगे। जो एक महीने तक इसी स्थिति में रहेंगे।
अनंत चतुर्दशी पर सूर्य का गोचर
सूर्य हर महीने चाल बदलते हैं। इस महीने सितंबर में 17 तारीख को अनंत चतुर्दशी पर सूर्य, सिंह राशि से निकलकर कन्या में प्रवेश करेंगे। ऐसे में कुछ जातकों पर सूर्य की कृपा बरसेगी।
अभी परस्पर बैठे हैं शनि सूर्य
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार वर्तमान में सूर्य अपनी स्व राशि सिंह में और शनि अपनी स्व राशि कुंभ में बैठे हैं। जो एक दूसरे पर परस्पर स्थिति में बैठे हैं। जो जातकों के लिए सामान्य फल दे रहे हैं। इस दौरान न तो ये किसी को शुभ फल देंगे और न प्रतिकूल फल देंगे।
17 सितंबर से इन्हें मिल सकता है शुभ फल
वर्तमान में कर्क, वृश्चिक और मीन राशि पर कर्क की दशाएं चल रही हैं। ऐसे में जब सूर्य 17 सितंबर को सिंह से निकलकर कन्या में प्रवेश करेंगे तो इस दौरान इन जातकों को शुभ फल मिल सकता है।
शनि नहीं होंगे मेहरबान (Surya Gochar in Kanya Effect in Hindi)
आपको बता दें कुछ मीडिया द्वारा इस तरह की जानकारी दी जा रही हैं श्राद्ध पक्ष के पहले सूर्य शनि पर शुभ दृष्टि डालेंगे। पर ऐसा बिल्कुल नहीं है।
दरअसल वर्तमान में सूर्य अपनी स्व राशि में हैं, तो वहीं शनि भी अपनी स्व राशि कुंभ में बैठे हैं यानी सूर्य छठें घर में और शनि ग्यारहवें भाव में हैं जो एक दूसरे पर परस्पर भाव में हैं। शनि सूर्य पुत्र हैं इसलिए दोनों का व्यवहार मिलाजुला असर दिखाएगा।
क्या, राशियों पर होता है सूर्य गोचर का असर
ज्योतिषाचार्य की मानें तो सूर्य गोचर का असर (Surya Gochar in Kanya ka Asar) अधिकतर मौसम पर पड़ता है। ध्यान रखने वाली बात ये है कि जिन जातकों की कुंडली में सूर्य नीच राशि के हैं उन्हें जरूर सतर्क रहने की जरूरत होती है।
आपको बता दें तुला सूर्य की नीच राशि है इसलिए कन्या राशि में सूर्य का गोचर होगा तो इस दौरान उन्हें सतर्क रहना होगा।
सूर्य के उपाय
जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर है वे सूर्य को मजबूत करने के लिए लाल चीजों का दान, सूर्य जल चढ़ाएं। इन लोगों को रक्त संबंधी और पेट संबंधी रोग अधिक घेरते हैं।
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