Surya Ashlesha Nakshatra Parivartan 2025 Barish par Asar: अभी तक पुष्य नक्षत्र में चल रहे सूर्य ने एक बार फिर नक्षत्र परिवर्तन कर दिया है। सावन में पुष्य नक्षत्र में बने स्त्री पुरुष योग ने झमाझम बारिश कराई। जिसके बाद एक बार फिर बारिश में विराम लगने जा रहा है।
चलिए ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री से जानते हैं कि सूर्य का अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश के क्या संकेत हैं। बारिश पर इसका क्या असर होगा। साथ ही जानेंगे इसके बाद कब अच्छी बारिश के योग बनेंगे।
बारिश पर नंपुसक योग का क्या असर होता है
अश्लेषा नक्षत्र में पहुंचे सूर्य ने नपुंसक योग बना लिया है। ज्योतिष में नपुंसक योग बारिश के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार ये अश्लेषा नक्षत्र में ये नपुंसक योग 15 दिन तक रहेगा। जो 3 अगस्त से 18 अगस्त तक रहेगा। इस दौरान एक बार फिर झमाझम बारिश का योग थम जाएगा।
कौन से हैं जल चर नक्षत्र (Jalchar Nakshtra)
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार ज्योतिष में बारिश के कुछ नक्षत्र होते हैं। पुनर्वसु, अश्लेषा और पुष्य नक्षत्र इन जलचर नक्षत्रों में शामिल हैं। यानि इन नक्षत्रों में बारिश (Surya Pushya Nakshatra) अच्छी मानी जाती है। लेकिन जब इन नक्षत्रों में स्त्री-स्त्री योग बनता है तो खंड बारिश होती है।
सवाल: ज्योतिष में बारिश की विदाई कब मानी जाती है
जवाब: ज्योतिष के अनुसार हस्त नक्षत्र में जब सूर्य आते हैं तो इस दौरान सूर्य के आने पर बारिश की विदाई हो जाती है।
सवाल: आद्रा नक्षत्र में ही सबसे अच्छी बारिश क्यों
जवाब: ज्योतिषाचार्य के अनुसार आद्रा का मतलब खाद्रा नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र में सर्वत्र बारिश मानी जाती है। यानी इस आद्रा नक्षत्र के 15 दिनों में यदि अच्छी बारिश हो तो ये अच्छी मानी जाती है।
सवाल: मध्यप्रदेश में इस बार कैसी होगी बारिश
जवाब: ज्योतिष शास्त्र के आधार पर इस साल मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश Madhya pradesh ki Barish) के योग हैं।
मध्यप्रदेश की राशि सिंह (Singh Rashi) है और सिंह सूर्य (Sun) की स्व राशि है। यानी सूर्य अपनी राशि में होते हैं तो अच्छी बारिश होती है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश के योग बनते हैं।
सवाल: 18 अगस्त को सूर्य का गोचर किस नक्षत्र में होगा
जवाब: ज्योतिषीय गणना के अनुसार 3 अगस्त को अश्लेषा नक्षत्र गोचर करने के बाद सूर्य ने 18 अगस्त मघा में प्रवेश कर जाएंगे। इस दौरान एक बार फिर मौसम में थोड़ा परिवर्तन आएगा। इस नक्षत्र में सूर्य 15 दिन रहेंगे। इसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में इनका गोचर होगा।
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