मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की समर्थ रामदास को छत्रपति शिवाजी महाराज का गुरु बताने वाली टिप्पणी पर सोमवार को आपत्ति जताई। सुले ने कहा कि दोनों के शिक्षक-शिष्य होने के संबंध में कोई सबूत मौजूद नहीं है। सुले ने बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ के 16 जुलाई, 2018 के फैसले का भी हवाला दिया। राज्य सरकार ने पीठ के समक्ष कहा था, ‘‘ इस बात के कोई सबूत मौजूद नहीं हैं कि शिवाजी महाराज, रामदास से मिले थे या वह रामदास को अपना गुरु मानते थे।’’
महाराष्ट्र से लोकसभा सदस्य ने अदालत के आदेश का जिक्र करते हुए कहा , ‘‘ रामदास और छत्रपति शिवाजी महाराज के शिक्षक-शिष्य होने के संबंध में कोई सबूत मौजूद नहीं है। ’’ कोश्यारी ने रविवार को औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज और चंद्रगुप्त मौर्य का उदाहरण देते हुए गुरु की भूमिका को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा था, ‘‘ इस भूमि पर कई चक्रवर्ती (सम्राट), महाराजाओं ने जन्म लिया, लेकिन चाणक्य न होते तो चंद्रगुप्त के बारे में कौन पूछता? समर्थ (रामदास) न होते तो छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कौन पूछता।’’ कोश्यारी ने कहा था, ‘‘ मैं चंद्रगुप्त और शिवाजी महाराज की योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। जैसे एक मां, बच्चे का भविष्य बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, उसी तरह हमारे समाज में एक गुरु का भी बड़ा स्थान है।’’ इस पर आपत्ति जताते हुए, सुले ने अपने पिता एवं राकांपा प्रमुख शरद पवार का एक पुराना वीडियो भी साझा किया, जिसमें कहा गया था कि रामदास छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु नहीं थे। इस वीडियो में पवार को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मां राजमाता जीजामाता, मराठा योद्धा राजा की गुरु थीं। महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। पहले भी कई मुद्दों पर उसका कोश्यारी के साथ विवाद रहा है।