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हाइलाइट्स
- आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भोपाल नगर निगम सतर्क।
- हर दिन 60 से 70 आवारा कुत्तों की नसबंदी का टारगेट।
Supreme Court Stray Dogs Decision 2025: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या पर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने 11 अगस्त के पुराने आदेश पर रोक लगाते हुए स्पष्ट किया कि सभी पकड़े गए आवारा कुत्तों को रैबीज का टीका (Anti-Rabies Vaccine) लगाने और नसबंदी के बाद उसी स्थान पर छोड़ना होगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन कुत्तों में हिंसक प्रवृत्ति हो या जो रेबीज से संक्रमित हैं, उन्हें शेल्टर होम्स में ही रखा जाएगा। ऐसे कुत्तों को आमजन के बीच नहीं छोड़ा जाएगा। अब अदालत के आदेश के बाद भोपाल समेत एमपी प्रदेश के कई नगर निगम एक्शन में आ गए हैं। भोपाल नगर निगम ने हर दिन 60–70 कुत्तों की नसबंदी का टारगेट तय किया है।
कोर्ट का बड़ा फैसला, भोपाल नगर निगम सतर्क
सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद देशभर के नगर निगम प्रशासन सक्रिय हो गए हैं। भोपाल नगर निगम ने भी इस दिशा में तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है। शहर की महापौर मालती राय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए भोपालवासियों से अपील की है कि “सुप्रीम कोर्ट की जो गाइडलाइन आई है, वह सिर्फ किसी एक प्रदेश या नगर निगम के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है। भोपाल की जनता को भी इससे सीख लेकर जिम्मेदारी निभानी चाहिए।”
महापौर ने यह भी कहा कि व्यवस्था में सुधार तभी संभव है जब नागरिक प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर सहयोग करें। उन्होंने कहा कि नगर निगम अकेले कुछ नहीं कर सकता, जनता का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने जनता से सहयोग की अपील की है।
उन्होंने कहा कि भोपाल नगर निगम की ओर से हर दिन 60 से 70 आवारा कुत्तों को पकड़ने, उनकी नसबंदी कराने और फिर उन्हें उसी स्थान पर वापस छोड़ने का नियमित अभियान चलाया जा रहा है। यह पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार की जा रही है।
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सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना देने पर रोक
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों के मामले में सुनवाई करते हुए 11 अगस्त के पुराने आदेश में संशोधन किया। कोर्ट ने कहा कि जो कुत्ते पकड़े गए हैं, उन्हें एंटी रेबीज वैक्सीनेशन और नसबंदी के बाद उसी स्थान पर छोड़ दिया जाए जहां से वे पकड़े गए थे।
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि अब किसी को भी आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थलों पर खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी। यह गतिविधि यदि किसी ने की तो उसे जुर्माना देना होगा।
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डॉग लवर्स और एनजीओ पर जुर्माना
इस मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने की। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस फैसले का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिका दायर करने वाले डॉग लवर्स और उनसे जुड़ी संस्था पर भी सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि डॉग लवर्स को ₹25,000 और संबंधित एनजीओ को ₹2 लाख की राशि कोर्ट में जमा करनी होगी।
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प्रशासनिक कार्य में बाधा बर्दाश्त नहीं
अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि किसी भी संस्था या व्यक्ति को शासकीय कार्य में बाधा डालने की अनुमति नहीं होगी। नसबंदी, टीकाकरण और पुनर्वास की यह पूरी प्रक्रिया निर्बाध रूप से चलनी चाहिए। साथ ही अदालत ने ऐसे मामलों में प्रशासन को विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट का कहना है कि जनता की सुरक्षा के साथ-साथ पशुओं के अधिकारों को भी संतुलन के साथ देखा जाना चाहिए। इसके अलावा, कोर्ट ने सभी राज्यों को यह आदेश दिया है कि वो एक हेल्पलाइन नंबर जारी करें ताकि लोग आवारा कुत्तों से जुड़ी समस्याओं की शिकायत सीधे कर सकें।
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