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सुप्रीम कोर्ट का आदेश: हर प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा नहीं कर सकती सरकार, 45 साल पहले दिया अपना ही फैसला किया खारिज

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सरकारें सभी प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा नहीं कर सकतीं। 45 साल पहले का अपना ही फैसला पलटा।

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Rahul Garhwal
Supreme Court said government cannot take over every private property hindi news

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सरकारें सभी प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा नहीं कर सकतीं। हर निजी संपत्ति भौतिक संसाधन नहीं है। कोर्ट ने 45 साल पहले दिया अपना फैसला ही पलट दिया।

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'हर निजी संपत्ति सामुदायिक संपत्ति नहीं'

क्या सरकार आम जनता की भलाई के लिए निजी संपत्तियों का अधिग्रहण संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत कर सकती है ? इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 9 जजों की बेंच ने मंगलवार को 1978 में दिए गए अपने ही फैसले को पलट दिया। CJI की अध्यक्षता में 9 जजों की बेंच ने 7:2 के बहुमत से कहा कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं माना जा सकता। केवल कुछ विशेष संपत्तियों को ही सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर आम लोगों के हित में उपयोग कर सकती है।

1978 का फैसला खारिज

बेंच ने 1978 में जस्टिस कृष्ण अय्यर के फैसले को अस्वीकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि 'राज्य सरकारें सभी निजी संपत्तियों पर अधिकार कर सकती हैं।' CJI ने कहा कि पुराना निर्णय विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रभावित था। हालांकि, राज्य सरकारें उन संसाधनों पर अधिकार कर सकती हैं जो भौतिक हैं और जो सार्वजनिक भलाई के लिए समुदाय द्वारा रखे जाते हैं।

1 मई को सुरक्षित रखा था फैसला

CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने फैसले पर सहमति जताई। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से कुछ असहमति दिखाई, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने सभी बिंदुओं पर असहमति व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने 1 मई को इस मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित कई वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था।

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इस मामले में 16 याचिकाएं

बेंच 16 याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी, जिसमें 1992 में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (POA) द्वारा दायर की गई मुख्य याचिका भी शामिल है। POA ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट एक्ट (MHADA) के अध्याय VIII-ए का विरोध किया है।

यह अध्याय, जो 1986 में जोड़ा गया, राज्य सरकार को जीर्ण-शीर्ण इमारतों और उनकी भूमि को अधिग्रहित करने का अधिकार देता है, बशर्ते कि उसके 70% मालिक ऐसा अनुरोध करें। इस संशोधन को प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन ने चुनौती दी है।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि MHADA का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 31 सी द्वारा संरक्षित है, जिसे 1971 के 25वें संशोधन अधिनियम के तहत कुछ नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को लागू करने वाले कानूनों की रक्षा के लिए जोड़ा गया था।

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महाराष्ट्र सरकार ने किया कानून में बदलाव

बेंच 16 याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी, जिसमें 1992 में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (POA) द्वारा दायर की गई मुख्य याचिका भी शामिल है। POA ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट एक्ट (MHADA) के अध्याय VIII-ए का विरोध किया है।

यह अध्याय, जो 1986 में जोड़ा गया, राज्य सरकार को जीर्ण-शीर्ण इमारतों और उनकी भूमि को अधिग्रहित करने का अधिकार देता है, बशर्ते कि उसके 70% मालिक ऐसा अनुरोध करें। इस संशोधन को प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन ने चुनौती दी है।

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महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि MHADA का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 31 सी द्वारा संरक्षित है, जिसे 1971 के 25वें संशोधन अधिनियम के तहत कुछ नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को लागू करने वाले कानूनों की रक्षा के लिए जोड़ा गया था।

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