Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एसईसीएल की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने का निर्देश दिया है। इससे पहले, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित मेहता कमेटी ने एसईसीएल से निकाले गए 160 से अधिक कर्मचारियों को कोल इंडिया का कर्मचारी माना था।
लेकिन एसईसीएल ने इस सिफारिश को मानने से इनकार कर दिया था। अब, सुप्रीम कोर्ट का फैसला श्रमिकों के हक में आया है, जोकि 40 साल बाद आया है। बता दें कि लंबे मुकदमें के चलते 160 में से 40 की हो मौत गई है।
हाईकोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है, इसलिए इसमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। इस मामले में, केंद्र सरकार ने पूर्व सैनिकों को एसईसीएल में काम देने की योजना बनाई थी, जिसे कोल इंडिया की सभी कंपनियों में लागू किया गया था। इसके तहत, पूर्व सैनिकों ने आरएपी, केएनपी, ईएनई कंपनी बनाकर काम करना शुरू किया था।
कंपनी ने श्रमिकों को निकाला था बाहर
एसईसीएल कंपनी में काम करने वाले श्रमिकों को सभी सुविधाएं दी जा रही थीं, लेकिन छह साल बाद, कंपनी ने लाइसेंस न होने की बात कहते हुए श्रमिकों को काम से बाहर कर दिया। इसके बाद, ईएनई के श्रमिक मदन राजपूत और अन्य लोगों ने एसईसीएल के निर्णय को चुनौती देते हुए लेबर कोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की। लेबर कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एसईसीएल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपील की, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट ने एसईसीएल की विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। इससे पहले, एसईसीएल ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एसईसीएल इस मामले से संबंधित किसी अन्य दावे को ठेका कंपनी के खिलाफ अदालत में लाने के लिए स्वतंत्र है, जो इस फैसले से प्रभावित नहीं होगा।
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