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Supreme Court Motor Accident Claim: सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए या घायल हुए लोगों और उनके परिवार वालों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने देशभर के सभी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों (MACT) और उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया है कि अब वे समय-सीमा समाप्त होने के आधार पर मुआवजा याचिकाओं को खारिज न करें।
मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166(3) पर सुनवाई
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यह अंतरिम आदेश मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166(3) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। इस धारा में दुर्घटना की तारीख से छह महीने के अंदर दावा दायर करने की समय-सीमा तय की गई थी, जिसे 2019 के संशोधन से जोड़ा गया था। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि इस प्रावधान को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं अभी लंबित हैं।
अंतिम निर्णय तक रोक
पीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक विलंब के आधार पर कोई भी याचिका अस्वीकार नहीं की जाएगी। अधिवक्ता राजेश खंडेलवाल ने इस आदेश को हजारों पीड़ित परिवारों के लिए बड़ी राहत बताया। उन्होंने कहा कि अब वे बिना समय की बाधा के न्याय पाने का अवसर हासिल कर सकेंगे।
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देश और MP में लंबित दावों की स्थिति
देश भर में 10.46 लाख मोटर दुर्घटना दावे लंबित हैं, जिनमें से केवल 29% का निपटारा हो पाया है। इन लंबित दावों का कुल आर्थिक भार 80,455 करोड़ रुपये है। वहीं मध्य प्रदेश में 50 हजार से अधिक ऐसे केस लंबित हैं। इसमें अकेले इंदौर में 10 हजार और भोपाल में 9 हजार से अधिक मामले लंबित हैं।
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