Advertisment

Supreme Court CCTV Monitoring: पुलिस हिरासत में मौतें, सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- थानों में CCTV नहीं तो पारदर्शिता नहीं!

Supreme Court Police Station CCTV: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की कमी पर गहरी चिंता जताई है। कोर्ट ने राजस्थान में हिरासत में हुई 11 मौतों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले में फैसला सुरक्षित रखा है। 26 सितंबर को इस पर निर्णय आएगा।

author-image
Vikram Jain
Supreme Court CCTV Monitoring: पुलिस हिरासत में मौतें, सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- थानों में CCTV नहीं तो पारदर्शिता नहीं!

हाइलाइट्स

  • पुलिस स्टेशन में CCTV न होने पर SC ने जताई नाराजगी।
  • कोर्ट ने कहा- थानों में CCTV जरूरी, कंट्रोल रूम भी बनें।
  • पुलिस हिरासत में 11 लोगों की मौत पर लिया स्वत: संज्ञान।
Advertisment

Supreme Court Police Station CCTV Monitoring: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की कमी पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि इससे हिरासत में पारदर्शिता और नागरिक सुरक्षा पर असर पड़ रहा है। कोर्ट ने राजस्थान में हिरासत में हुई 11 मौतों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले में फैसला सुरक्षित रखा है। अदालत अब 26 सितंबर को मामले में फैसला सुनाएगा।

SC ने पूछा-थानों में CCTV क्यों नहीं?

भारत के पुलिस थानों में पारदर्शिता और निगरानी को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर सक्रिय हो गया है। हाल ही में राजस्थान में हिरासत में मौतों की खबरों के बाद अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पूरे देश में थानों में CCTV कैमरों की स्थिति पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इस पर गंभीर टिप्पणियां की हैं, कोर्ट ने कहा कि थानों में CCTV न होने से निगरानी में मुश्किल हो रही है। आगे कहा कि इससे हिरासत में पारदर्शिता और नागरिक सुरक्षा पर असर पड़ रहा है।

publive-image

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों जताई नाराजगी?

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की स्थिति पर सुनवाई की। जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि सिर्फ कैमरे लगाना काफी नहीं, बल्कि निगरानी जरूरी है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर कल को अधिकारी कैमरे बंद कर दें या उनका डायवर्जन कर दें, तो फिर पारदर्शिता का क्या होगा?

Advertisment

राजस्थान में हिरासत में मौतों पर चिंता

कोर्ट ने राजस्थान की एक रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया, जिसमें बताया गया कि पिछले 8 महीनों में 11 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई थानों में CCTV काम नहीं कर रहे हैं।

publive-image

थाने में CCTV कैमरे और निगरानी जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि यह मामला केवल तकनीकी औपचारिकताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पुलिस हिरासत में पारदर्शिता बनाए रखने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। अदालत ने जोर देते हुए कहा कि देश के प्रत्येक पुलिस थाने में CCTV कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाने चाहिए। साथ ही, उनकी रिकॉर्डिंग की प्रभावी निगरानी के लिए ऐसे कंट्रोल रूम बनाए जाएं, जहां मानवीय हस्तक्षेप कम हो, ताकि निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

ये खबर भी पढ़ें...Jolly LLB 3 Controversy: जॉली एलएलबी-3 पर संकट, भाई वकील है गाने को लेकर विवाद, MP हाईकोर्ट ने अक्षय-अरशद से मांगा जवाब

Advertisment

IIT की ली मदद जा सकती है...

जस्टिस संदीप मेहता ने सुझाव दिया कि देशभर के पुलिस थानों का स्वतंत्र और निष्पक्ष मूल्यांकन आवश्यक है, जिसके लिए किसी निजी एजेंसी की मदद ली जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि IIT जैसी अग्रणी तकनीकी संस्थाओं को इस प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है, ताकि एक ऐसा उन्नत प्रणाली विकसित की जा सके जो हर CCTV फीड की निगरानी स्वतः कर सके। इस निगरानी तंत्र में मानवीय हस्तक्षेप नहीं हो, बल्कि यह पूरी तरह AI आधारित हो।

publive-image

केंद्र और एजेंसियों की भी अनदेखी

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने बताया कि कुछ राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया है। यहां तक कि CBI, NIA और ED जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने भी आदेशों को नजरअंदाज किया है।

ये खबर भी पढ़ें...MP High Court Live Streaming: आज से बंद हुई एमपी हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग, अदालत को लेना पड़ा यह फैसला?

Advertisment

पहले भी दिए जा चुके हैं आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी याद दिलाया कि उसने 2018 में ही देशभर के सभी पुलिस थानों में CCTV कैमरे लगाने का निर्देश जारी किया था, ताकि हिरासत में होने वाले किसी भी प्रकार के मानवाधिकार उल्लंघन को रोका जा सके। इसके बावजूद जब अपेक्षित सुधार नहीं दिखे, तो दिसंबर 2020 में कोर्ट ने और अधिक सख्त आदेश जारी किया। इस आदेश में केंद्र सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि CBI, ED और NIA जैसी सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों के कार्यालयों में CCTV कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण अनिवार्य रूप से लगाए जाएं।

इतना ही नहीं, कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी यह सुनिश्चित करने को कहा था कि हर पुलिस स्टेशन में व्यापक CCTV निगरानी प्रणाली हो, जिसमें खासतौर पर निम्न स्थानों को कवर किया जाए:

  • प्रवेश और निकास द्वार
  • मुख्य गेट
  • लॉकअप (हिरासत कक्ष)
  • लॉबी और कॉरिडोर
  • लॉकअप के बाहरी क्षेत्र

2020 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिए गए आदेश का उद्देश्य था कि थानों में हर गतिविधि रिकॉर्ड हो और किसी भी मानवाधिकार उल्लंघन की संभावना न रहे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है, अब 26 सितंबर को कोर्ट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला सुनाएगा।

इस खबर से जुड़े 5 FAQ

Q1. सुप्रीम कोर्ट ने CCTV को लेकर क्या टिप्पणी की?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CCTV सिर्फ लगाए नहीं जाने चाहिए, बल्कि उनकी निगरानी भी जरूरी है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

Q2. राजस्थान में हिरासत में कितनी मौतें हुई हैं?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 8 महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 लोगों की मौत हुई है।

Q3. क्या कोर्ट ने CCTV लगाने का पहले भी आदेश दिया था?

हां, 2018 और 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने CCTV कैमरे लगाने के निर्देश दिए थे।

Q4. कोर्ट तकनीकी समाधान को कैसे देख रहा है?

कोर्ट ने IIT जैसे संस्थानों से मदद लेकर बिना मानवीय हस्तक्षेप के निगरानी प्रणाली विकसित करने का सुझाव दिया है।

Q5. अगली सुनवाई या फैसला कब होगा?

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 26 सितंबर को फैसला सुनाएगा।

हमें XFacebookWhatsAppInstagram पर फॉलो करें। हमारे यू-ट्यूब चैनल Bansal News MPCG को सब्सक्राइब करें।
supreme court Supreme Court order police station Rajasthan Police Human Rights CCTV monitoring Police Station CCTV Police Custodial Deaths Rajasthan Police Custody Death CCTV Camera Shortage Rajasthan Police case Supreme Court Order Supreme Court CCTV Camera Order
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें