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हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट पहुंचा भोपाल के सड़क चौड़ीकरण का मामला।
- सड़क के लिए अनुमति 132 पेड़ों की थी, काटे गए 800 पेड़।
- कोर्ट ने सरकार और जिम्मेदारों से मांगा जवाब, नोटिस जारी।
Bhopal Road Widening Tree Felling Case Supreme Court Order: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सड़क चौड़ीकरण के लिए की गई पेड़ों की कटाई अब सवालों के घेरे में है। शहर के शैतान सिंह चौराहे से कोलार ट्राय-जंक्शन तक हुए इस निर्माण कार्य में 800 से अधिक पेड़ काटे गए, जबकि अनुमति केवल 132 पेड़ों की थी। इस मामले में न तो एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल) के आदेशों का पालन हुआ, और न ही पेड़ों की भरपाई की गई। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। अब सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की अवैध कटाई और एनजीटी के आदेशों की अनदेखी को लेकर मप्र सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
मनमानी... सड़क बनाने काटे 800 पेड़
दरअसल, पूरा मामला भोपाल के शैतान सिंह चौराहे से कोलार ट्राय जंक्शन तक सड़क चौड़ीकरण से जुड़ा है। इस चौराहे से कोलार ट्राय-जंक्शन तक सड़क चौड़ीकरण के दौरान पीडब्ल्यूडी ने राज्य सरकार से केवल 132 पेड़ों की कटाई की अनुमति ली थी। लेकिन आरोप है कि विभाग ने लगभग 800 पेड़ काट दिए। अनुमति की तुलना में लगभग छह गुना ज्यादा पेड़ों की कटाई की गई।
एनजीटी के आदेश की जमकर अनदेखी
इस सड़क चौड़ीकरण के मामले में एनजीटी ने पहले ही 23.70 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था और साथ ही आदेश दिया था कि काटे गए हर एक पेड़ के बदले 10 नए पौधे लगाएं जाएं। 800 पेड़ों की कटाई के लिए कुल 8,000 पौधे लगाने थे। आरोप है कि न तो पौधे लगाए गए, और न ही पौधारोपण के लिए जगह छोड़ी गई, सड़क निर्माण में पौधारोपण वाली जगहों को पूरी तरह से कंक्रीट से पक्का कर दिया गया।
निगम ने 132 पेड़ों के बदले 7.92 लाख की क्षतिपूर्ति मांगी थी। यह राशि 7 जून 2024 को जमा की गई। बाद में जांच हुई तो पता चला कि 132 की जगह 800 से ज्यादा पेड़ काटे गए। एनजीटी ने सड़क के बीच में पौधे रोपने के निर्देश दिए थे, लेकिन बीच में पौधे लगाने के लिए जगह नहीं छोड़ी गई, बल्कि वहां कांक्रीट से पक्का निर्माण कर दिया।
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बिना अनुमति जनवरी में ही काट दिए पेड़
इस परियोजना के तहत पीडब्ल्यूडी विभाग ने 132 पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी, लेकिन नगर निगम ने जून 2024 तक इसकी मंजूरी नहीं दी थी। इसके बावजूद जनवरी में ही विभाग ने लगभग 800 पेड़ काट डाले, जो कि साफ तौर पर नियमों का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अवैध पेड़ कटाई का मामला
बता दें कि कटनी के लॉ स्टूडेंट सानिध्य जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार और संबंधित विभागों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि शासन और विभाग के अधिकारियों ने मनमाने तरीके से 800 से अधिक पेड़ काट डाले, जबकि कानूनी तौर पर सिर्फ 132 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई थी।
यह याचिका सड़क चौड़ीकरण परियोजना में पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन को लेकर दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि एनजीटी के आदेशों की अवहेलना करते हुए न तो पौधारोपण किया गया और न ही मुआवजा भरा गया, जिससे नागरिकों का स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण का संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 21) सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है।
यह पर्यावरणीय अधिकारों का सीधा उल्लंघन
सानिध्य जैन की ओर से पेश वकील अंशुल गुप्ता, कीर्ति दुआ और आदित्य टेंगुरिया ने दलील दी कि यह मामला सिर्फ नियमों की अनदेखी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को मिलने वाले स्वस्थ पर्यावरण के मौलिक अधिकार का भी गंभीर हनन है।
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जिम्मेदार कौन-कौन बनाए गए हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने मप्र शासन, कलेक्टर, नगरीय निगम कमिश्नर, पीडब्ल्यूडी, फॉरेस्ट विभाग (पीसीसीएफ), एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डायरेक्टर को नोटिस जारी किया है। इन सबको इस अवैध कटाई और आदेशों की अवहेलना के लिए जवाब देना होगा।
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