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सुप्रीम कोर्ट आज करेगा तय: मस्जिद में 'जय श्री राम' का नारा लगाना भावनाओं को ठेस पहुंचाता है या नहीं?

Supreme Court Masjid Jai Shri Ram Slogan Case सुप्रीम कोर्ट आज यानी 13 दिसंबर को तय करेगा कि मस्जिद में 'जय श्री राम' का नारा लगाना भावनाओं को ठेस पहुंचाता है या नहीं?

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Rahul Sharma
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Supreme Court Masjid Jai Shri Ram Case: सुप्रीम कोर्ट आज यानी 13 दिसंबर को तय करेगा कि मस्जिद में 'जय श्री राम' का नारा लगाना भावनाओं को ठेस पहुंचाता है या नहीं?

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दरअसल, 13 सितंबर 2024 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिद के अंदर "जय श्रीराम" के नारे लगाने के आरोपियों के मामलों को खारिज करते हुए कहा था कि इससे धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाती है।

इसी फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका हैदर अली नाम के शख्स ने दायर की है।

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच करेगी। जिसका 13 दिसंबर को फैसला आ सकता है।

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यह है पूरा मामला

24 सितंबर, 2023 को रात करीब 10:50 बजे कुछ लोग कर्नाटक के ऐथूर गांव स्थित बदरिया जामा मस्जिद में घुसे और धमकी देते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगे।

इसके बाद आरोपियों ने चैन से न रहने देने की धमकी भी दी। याचिकाकर्ता की शिकायत पर बाद में इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, बाद में आरोपियों को जमानत मिल गई।

जमानत मिलने के बाद दोनों आरोपियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की। कर्नाटक हाई कोर्ट ने 29 नवंबर 2023 को सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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जबकि इस साल यानी 13 सितंबर 2024 में गिरफ्तारी को गलत बताते हुए मामला खत्म कर दिया था। हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

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क्या था कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला?

13 सितंबर 2024 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिद के अंदर 'जय श्रीराम' के नारे लगाने के आरोपी दो व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामला खारिज कर दिया।

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया है कि इलाके में हिंदू और मुसलमान सौहार्दपूर्ण तरीके से रह रहे हैं। पीठ के अनुसार, आगे की कार्रवाई की अनुमति देना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए, कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हर कृत्य आईपीसी की धारा 295ए के तहत अपराध नहीं बनता है।

तब बेंच ने कहा था, 'धारा 295ए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से संबंधित है, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।

यह समझ से परे है कि अगर कोई 'जय श्री राम' का नारा लगाता है, तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी।'

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