Advertisment

HUF Family Property: बेटी की शादी के लिए पिता बेच सकता है परिवार की जमीन! बेटे ने लगाई थी याचिका, SC ने की ये टिप्पणी

Supreme Court HUF Karta Property Rights Decision Update; सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम फैसले में साफ किया है कि हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) का कर्ता यानी परिवार का प्रमुख बेटी की शादी के खर्च पूरे करने के लिए पारिवारिक संपत्ति बेच सकता है।

author-image
Wasif Khan
HUF Family Property: बेटी की शादी के लिए पिता बेच सकता है परिवार की जमीन! बेटे ने लगाई थी याचिका, SC ने की ये टिप्पणी

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने बेटी की शादी को कानूनी जरुरत माना

  • HUF कर्ता शादी खर्च चुकाने को संपत्ति बेच सकता है

  • कर्नाटक HC का फैसला रद्द, ट्रायल कोर्ट बहाल

Advertisment

Supreme Court HUF Karta Property Rights Decision Update: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम फैसले में साफ किया है कि हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) का कर्ता यानी परिवार का प्रमुख बेटी की शादी के खर्च पूरे करने के लिए पारिवारिक संपत्ति बेच सकता है। अदालत ने माना कि बेटी की शादी का खर्च कानूनी आवश्यकता (Legal Necessity) है और इसके लिए की गई बिक्री वैध मानी जाएगी।

कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला रद्द

जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के 2007 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें ट्रायल कोर्ट का आदेश पलटकर HUF की संपत्ति बिक्री को अवैध बताया गया था। ट्रायल कोर्ट ने पहले खरीदार के पक्ष में निर्णय सुनाया था।

ये भी पढ़ें- Ujjain Mahakal: महाकाल मंदिर समिति में पुजारी-कर्मचारियों की नियुक्तियां अवैध…! HC ने कलेक्टर से 90 दिन में मांगा जवाब

Advertisment

पूरा मामला क्या है

यह विवाद तब सामने आया जब HUF के चार बेटों में से एक बेटे ने अपने पिता की ओर से की गई संपत्ति की बिक्री को चुनौती दी। पिता जो परिवार के कर्ता थे और उनकी पत्नी ने अदालत में बयान दिया कि संपत्ति बेचने का मकसद बेटी काशीबाई की शादी के खर्च को चुकाना था। खरीदार ने भी कोर्ट में कहा कि यह सौदा कानूनी आवश्यकता के तहत किया गया था।

[caption id="attachment_896807" align="alignnone" width="1159"]publive-image सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के 2007 के फैसले को रद्द कर दिया।[/caption]

सुप्रीम कोर्ट में सबूतों की जांच

अदालत ने पाया कि खरीदार ने ठोस सबूत पेश कर यह साबित कर दिया कि बिक्री बेटी की शादी के खर्च से जुड़ी थी। कोर्ट ने देखा कि जिन रसीदों पर हस्ताक्षर थे, उनमें पिता, उनकी पत्नी, बेटी और दो बेटों के दस्तखत शामिल थे। इससे यह साबित हुआ कि परिवार की सहमति भी इस सौदे में थी।

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भले ही शादी संपत्ति की बिक्री से पहले हो चुकी हो, लेकिन विवाह में हुए खर्च और उसके लिए लिए गए कर्ज का असर वर्षों तक बना रहता है। ऐसे में यह बिक्री कानूनी और वैध मानी जाएगी।

FAQs

Q. सुप्रीम कोर्ट ने बेटी की शादी के खर्च को किस श्रेणी में माना है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेटी की शादी का खर्च कानूनी आवश्यकता (Legal Necessity) है।

Q. क्या HUF का कर्ता बेटी की शादी के लिए पारिवारिक संपत्ति बेच सकता है?
हां, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि कर्ता (Karta) शादी के खर्च पूरे करने के लिए संपत्ति बेच सकता है और यह बिक्री वैध मानी जाएगी।

Advertisment

Q. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के किस आदेश को रद्द किया?
सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द किया, जिसमें HUF की संपत्ति बिक्री को अवैध बताया गया था।

PM Modi LIVE: PM मोदी बोले- गर्व से कहो, हम स्वदेशी; हर दुकान पर हो बोर्ड, MP सरकार से की अभियान चलाने की अपील

supreme court supreme court news Karnataka high Court SC ‎Judgment daughter marriage Indian Judiciary Supreme Court HUF Karta Property HUF property legal necessity property dispute family property sale Hindu law court ruling India SC verdict 2025 daughter marriage expenses legal property sale
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें