दिल्ली सरकार को शीर्ष अदालत ने एल्डरमैन की नियुक्ति मामले (LG vs Delhi Govt) में बड़ा झटका दिया है, तो वहीं दिल्ली नगर निगम (MCD) में एल्डरमैन की नियुक्ति के मामले में दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को राहत मिली है।
मामले की सुनवाई जस्टिस पामिदीघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार (LG vs Delhi Govt) ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली नगर निगम में 10 सदस्यों नॉमिनेट करने के लिए उपराज्यपाल के फैसले को मंत्री परिषद की मदद और सलाह की जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में सदस्यों को नामित करने के लिए उपराज्यपाल (LG vs Delhi Govt) के पास वैधानिक शक्ति है, न कि कार्यकारी शक्ति। शीर्ष अदालत ने दिल्ली एलजी के 10 एल्डरमैन नियुक्त करने के लिए फैसले को बरकरार रखा है।
बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की तरफ से इस साल 1 और चार जनवरी को ऑर्डर और नोटिफिकेशन जारी करके 10 एल्डरमैन (सदस्य) की नियुक्तियां की गई थीं। इस फैसले पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
स्वतंत्र हैं उप राज्यपाल- सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली स्थित शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि उपराज्यपाल (LG vs Delhi Govt) के पास स्वतंत्र रूप से दिल्ली नगर निगम के लिए 10 एल्डरमैन को नियुक्त कर सकते हैं। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि दिल्ली के एलजी की शक्ति सिमेंटिक लॉटरी थी।
एलजी बिना किसी के सलाह के सीधे नियुक्त कर सकते हैं। यह संसद के द्वारा बनाया गया एक कानून है, यह एलजी द्वारा प्रयोग किए गए विवेक को संतुष्ट करने का कार्य करता है। इसके पीछे का एक कारण यह भी है कि एलजी को ऐसा करना पड़ता है क्योंकि कानून के अनुसार यह अनुच्छेद 293 के अपवाद के अंतर्गत आता है।
यह 1993 दिल्ली नगर निगम अधिनियम था जिसने पहली बार उपराज्यपाल को पहले से मनोनीत करने की शक्ति प्रदान की थी और यह कोई अवशेष नहीं है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संवैधानिक पीठ के फैसले को ध्यान में रखते हुए दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3(3)(बी)(i) में प्रावधान है कि उप राज्यपाल के पास विशेष ज्ञान वाले 10 लोगों को दिल्ली नगर निगम में नामित करेंगे।
सवाल यह है कि क्यावह मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह से बंधे हैं? कोर्ट ने कहा कि पहले यह माना जाता था कि यदि संसद सूची दो और तीन के विषय में कानून बनाती है, तो GNCTD की कार्यकारी शक्ति सीमित हो जाएगी। इस संबंध में हम एनसीटी अधिनियम के दायरे से निपटेंगे।
14 महीने बाद सुनाया फैसला
आम आदमी पार्टी ने बीते साल इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट लेकर गई थी, जब उप राज्यपाल ने अपनी ओर से दिल्ली नगर निगम में एल्डमैन (मनोनीत पार्षद) नियुक्त कर दिए। केजरीवाल सरकार का कहना था कि पहले दिल्ली में एल्डरमैन की नियुक्ती चुनी हुई सरकार करती आ रही थी।
अब भी ये अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही है। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में इस मामले की सुनवाई करके फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन करीब 14 महीने से ज्यादा फैसला रिजर्ल करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर अपना फैसला सुना दिया है।