Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों के मदरसे बंद करने के फैसले पर रोक लगा दी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 7 जून और 25 जून को राज्यों से इसकी सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने समर्थन करते हुए राज्यों से एक्शन लेने की बात कही थी।
स्टूडेंट्स का सरकारी स्कूलों में नहीं होगा ट्रांसफर
उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार ने आदेश जारी किया था जिसमें मदरसों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करना था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर भी रोक लगाई है।
4 हफ्ते में मांगा जवाब
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, NCPCR और सभी राज्यों को नोटिस भेजकर 4 हफ्ते में जवाब मांगा गया।
‘ये रोक अंतरिम’
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि ये रोक अंतरिम है। जब तक मामले पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक राज्य मदरसों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। बेंच ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को भी याचिका में पक्षकार बनाने की परमिशन दी।
NCPCR ने क्या कहा ?
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने 12 अक्टूबर को कहा कि ‘राइट टु एजुकेशन एक्ट 2009’ का पालन न करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द की जानी चाहिए और इनकी जांच होनी चाहिए। NCPCR ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा कि मदरसों को मिलने वाला फंड बंद कर देना चाहिए। ये मदरसे राइट-टु-एजुकेशन (RTE) के नियमों का पालन नहीं करते हैं।
आयोग ने ‘आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे’ शीर्षक से एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें यह सुझाव दिया गया था। आयोग ने कहा कि मदरसों में मुख्य रूप से धार्मिक शिक्षा पर ध्यान दिया जाता है, जिससे बच्चों को आवश्यक शिक्षा नहीं मिल पाती और वे अन्य बच्चों से पीछे रह जाते हैं।
UP-त्रिपुरा ने दिए थे कार्रवाई के आदेश
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने 26 जून 2024 को NCPCR की रिपोर्ट के बाद सभी जिला कलेक्टरों को आदेश दिया कि वे राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच करें और मदरसों के सभी बच्चों को तुरंत स्कूलों में ट्रांसफर करें।
इसी तरह त्रिपुरा सरकार ने 28 अगस्त 2024 को ऐसा ही एक निर्देश जारी किया। 10 जुलाई 2024 को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को NCPCR के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए लिखा।
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UP मदरसा एक्ट पर विवाद, SC ने लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें ‘UP बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को असंवैधानिक बताया गया था। कोर्ट ने केंद्र और यूपी सरकार से भी जवाब मांगा।
कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय से 17 लाख छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। छात्रों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने का आदेश देना उचित नहीं है। दरअसल, 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने UP मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। Supreme Court Order
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