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Delhi News: अफसरों को पेशी पर कैसे बुलाया जाए, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश

Delhi News: अफसरों को पेशी पर कैसे बुलाया जाए, सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिए हैं। जिसमें सभी हाई कोर्ट को भी आगाह किया है।

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Bansal news
Delhi News: अफसरों को पेशी पर कैसे बुलाया जाए, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश

Delhi News: पेशी के लिए कैसे बुलाया जाए सरकारी अधिकारियों को, इसके लिए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है। SC ने सभी हाई कोर्ट को भी आगाह किया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वे सरकारी अधिकारियों को अपमानित न करें या उनकी दिखावे और पोशाक पर टिप्पणी कदापि न करें।

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हाईकोर्ट को किया आगाह

सरकारी अधिकारियों को अदालतों के सामने पेश होने के लिए किस तरहब बुलाया जाना चाहिए, इस पर सुप्रीम कोर्ट (Delhi News) ने विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि UP के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की शक्ति लागू नहीं की जा सकती।

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ऐसे अधिकारियों को बुलाने के HC के ऐसे आदेशों की प्रोसेस संविधान के द्वारा अनुमानित योजना के विपरीत है। दरअसल बात 16 अगस्त की है जब केंद्र सरकार ने सुझाव देते हुए कहा कि असाधारण मामलों में ही किसी भी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कोर्ट बुलाया जाना चाहिए।

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सरकारी अफसरों की पेशी से जुड़ा क्या है पूरा मामला

आपको बता दें, कि पूरा मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्देश का पालन ना करने पर UP के दो IAS अधिकारी सरयू प्रसाद मिश्रा और शाहिद मंजर अब्बास रिजवी को हिरासत में लेने के निर्देश देने से जुड़ा  है। सुप्रीम कोर्ट (Delhi News) ने 20 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था। लेकिन इसके बाद केंद्र सरकार ने सरकारी अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में SOP दाखिल करने के कुछ सुझाव दिए थे।

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सुप्रीम कोर्ट (Delhi News) ने कहा कि साक्ष्य, सारांश कार्यवाही में व्यक्तिगत उपस्थिति जरूरी हो सकती है। इसके अलावा यदि मुद्दों को शपथ पत्र द्वारा सुलझाया जा सकता है, तो ऐसी व्यक्तिगत उपस्थिति की जरूरत नहीं होगी। व्यक्तिगत उपस्थिति केवल तभी होगी जब तथ्यों को दबाये जा रहा हो। क्योंकि अधिकारी का दृष्टिकोण न्यायालय के देखने के अंदाज़ से बहुत अलग है।

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कोर्ट को किसी भी अधिकारी की पोशाक पर तब तक कमेंट करने से बचना चाहिए, जब तक कि उनके अपने कार्यालय के ड्रेस कोड का उल्लंघन नही हुआ हो। साथ ही अधिकारियों को पूरी कार्यवाही के दौरान जब तक कुछ पूछा न जाए तब तक खड़ा नहीं होना चाहिए।

इलाहाबाद HC द्वारा 19, 20 अप्रैल, 2023 के दोनों आदेशों को रद्द कर दिया है। अदालत के रजिस्ट्रार को ये आदेश सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को प्रसारित करने का निर्देश दिया जाता है। फैसला देने वाली पीठ से एसजी तुषार मेहता ने कहा कि हम बेहद आभारी हैं। यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा। CJI की तीन सदस्यीय बेंच ने फैसला दिया है। (Delhi News)

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