CG News: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने छत्तीसगढ़ में सीनियर न्यायिक अधिकारी की पत्नी की मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)से कराने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की खंडपीठ ने मृतका रंजना दीवान की मां और भाई द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए यह निर्देश दिया।
जानकारी के मुताबिक 2014 में रंजना दीवान की शादी मानवेंद्र सिंह (याचिका में प्रतिवादी नंबर 7) से हुई थी। इससे एक साल पहले मानवेंद्र सिंह छत्तीसगढ़ उच्च न्यायिक सेवा में चयनित होने के बाद 2013 में एडिशनल जिला जज बने (CG News) थे।
रंजना की मां- भाई को खुदकुशी पर था संदेह
मई, 2016 में अपीलकर्ताओं (मां और भाई) के पास फोन आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि रंजना ने खुदकुशी कर ली है। उन्हें उसकी मौत के बारे में कुछ संदेह था। उन्होंने दावा किया कि उन्हें शुरू में रंजना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति नहीं दिखाई (CG News) गई।
पुलिस ने खुदकुशी बता कर लगाई क्लोजर रिपाेर्ट
वहीं पुलिस ने इसे खुदकुशी का मामला मानते हुए क्लोजर रिपोर्ट दायर की। इसके बाद रंजना की मां और भाई ने मामले की जांच की मांग करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की। मई, 2023 में हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ताओं को सीआरपीसी की धारा 156(3) के अनुसार मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज करने का विकल्प चुनने की स्वतंत्रता (CG News) दी।
हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट मां-भाई ने SC में लगाई याचिका
हाईकोर्ट ने निर्णय से असंतुष्ट मृतका रंजना की मां और भाई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें प्रतिवादी नंबर 7 (रंजना के पति और सेवारत न्यायिक अधिकारी) पर उसकी शक्ति और प्रभाव के कारण निष्पक्ष जांच को कमजोर करने की आशंका जताई गई। साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 6 चोटों का संदर्भ था, जिसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दर्शाया गया था। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य ने यह बताया कि मामले में उच्चतम स्तर पर निष्पक्ष जांच की (CG News) गई।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का सुझाव
इसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि कोर्ट उच्च स्तरीय विशेष जांच दल नियुक्त करने पर विचार कर सकता है या CBI को मामले की जांच करने का निर्देश दे सकता है। साथ ही कहा कि इससे ना केवल पीड़ित पक्ष बल्कि बड़े पैमाने पर समाज में भी विश्वसनीयता और विश्वास पैदा होगा। बाद में कोर्ट ने इस तथ्य पर विचार करते हुए CBI जांच का आदेश देना उचित समझा कि प्रतिवादी नंबर 7 न्यायिक अधिकारी (CG News) है।
न्यायालय ने यह कहा
“इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि प्रतिवादी नंबर 7 सीनियर न्यायिक अधिकारी है, अपीलकर्ताओं के मन में कोई भी संदेह या आशंका, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्य को खो दिया है। CBI द्वारा की जा रही जांच से दूर हो सकती है। इससे पूर्ण न्याय हो सकता है और निष्पक्ष जांच करवाने के मौलिक अधिकार को लागू किया जा सकता है। वर्तमान मामले में पीड़ित पक्ष ने छत्तीसगढ़ राज्य की पुलिस मशीनरी पर पक्षपात और अनुचित प्रभाव के आरोप लगाए हैं। इस तथ्य के साथ कि पूरी घटना और विशेष रूप से मृत्युपूर्व चोटों के बारे में सच्चाई का पता लगाने के लिए गहन, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। हमारा मानना है कि वर्तमान मामले में ऐसा निर्देश जारी किया जाना चाहिए।”
कोर्ट ने CBI को दिया निर्देश
न्यायालय ने CBI को निर्देश दिया कि वह जांच को तेजी से पूरा करे ( घटना 2016 की है) और उसे रिपोर्ट प्रस्तुत करे। छत्तीसगढ़ राज्य को निर्देश दिया गया कि वह जांच करने में CBI को पूर्ण सहयोग करे और CBI को सभी आवश्यक कागजात और अन्य रणनीतिक सहायता प्रदान करे, जैसा भी आवश्यक हो। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष के बारे में कुछ नहीं कहा और CBI को निर्णय में किसी भी अवलोकन से प्रभावित हुए बिना जांच करनी (CG News) चाहिए।
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