हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
'मानहानि मामलों को क्रिमिनल ऑफेंस से हटाया जाए'
अभी अपराध है मानहानि
Supreme Court Comment On Defamation: 22 सितंबर, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अब समय आ गया है कि मानहानि के मामलों को क्रिमिनल ऑफेंस से हटाया जाए। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि ये कानून सही है और मानहानि का अधिकार भी जीवन के अधिकार का हिस्सा है। उस वक्त IPC की धारा 499 के तहत मानहानि अपराध थी। अब ये धारा बदल गई है और भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 के तहत ये अब भी मानहानि को अपराध मानती है।
विचार कर रहा सुप्रीम कोर्ट
[caption id="attachment_900287" align="alignnone" width="971"]
मानहानि मामला[/caption]
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब मानहानि को अपराध मानने से फिर से विचार कर रहा है क्योंकि आज के समय में अभिव्यक्ति की आजादी और मीडिया का रोल महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे सुधारने की जरूरत है और ताकि लोगों की बोलने की आजादी बनी रहे।
मानहानि मामले में सुनवाई कर रहा था सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यूज पोर्टल के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में जजमेंट पर सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की।
ये है पूरा मामला
2016 में एक न्यूज पोर्टल के खिलाफ JNU के प्रोफेसर ने आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था। याचिका में मजिस्ट्रेट ने समन को चुनौती दी थी, जिसे बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में न्यूज पोर्टल को जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा
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सुप्रीम कोर्ट[/caption]
मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस एम.एम. सुंदरश ने कहा कि अब समय आ गया है कि मानहानि मामलों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में न्यूज पोर्टल का पक्ष सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने रखा था।
ये खबर भी पढ़ें:GST की नई दरें लागू होते ही दिखा असर, महिंद्रा स्कॉर्पियो पर 1.96 लाख तक छूट, देखें लिस्ट
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
ये मामला 2016 में एक न्यूज पोर्टल में पब्लिश हुई रिपोर्ट से जुड़ा है। रिपोर्ट में JNU को ऑर्गनाइज्ड सेक्स रैकेट का अड्डा बताया था। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तर्क दिया था कि बिना सत्यापन के किसी भी दस्तावेज का हवाला देकर ऐसी रिपोर्ट छापना, सीधे तौर पर उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है और व्यवसायिक फायदा उठाने की कोशिश की है।
ट्रेन टिकट पर यात्री का नाम बदलना अब आसान, जानें क्या है पूरी प्रक्रिया
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Train Ticket Name Change: भारतीय रेलवे समय-समय पर यात्रियों की सुविधा को देखते हुए नए नियम लागू करता रहता है। अक्सर लोग टिकट पहले से बुक कर लेते हैं, लेकिन अचानक किसी कारणवश खुद यात्रा नहीं कर पाते। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या वही कन्फर्म (Confirm) टिकट किसी नजदीकी रिश्तेदार को दिया जा सकता है? इसका जवाब है- हां। रेलवे आपको टिकट पर यात्री का नाम बदलने की सुविधा देता है, हालांकि यह कुछ शर्तों और प्रक्रिया के साथ ही मुमकिन है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...
Supreme Court Comment On Defamation: सुप्रीम कोर्ट बोला-समय आ गया है कि मानहानि के मामलों को क्रिमिनल ऑफेंस से हटाया जाए
Supreme Court Comment On Defamation: सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि मानहानि के मामलों को क्रिमिनल ऑफेंस से हटाया जाए।
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
'मानहानि मामलों को क्रिमिनल ऑफेंस से हटाया जाए'
अभी अपराध है मानहानि
Supreme Court Comment On Defamation: 22 सितंबर, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अब समय आ गया है कि मानहानि के मामलों को क्रिमिनल ऑफेंस से हटाया जाए। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि ये कानून सही है और मानहानि का अधिकार भी जीवन के अधिकार का हिस्सा है। उस वक्त IPC की धारा 499 के तहत मानहानि अपराध थी। अब ये धारा बदल गई है और भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 के तहत ये अब भी मानहानि को अपराध मानती है।
विचार कर रहा सुप्रीम कोर्ट
[caption id="attachment_900287" align="alignnone" width="971"]
मानहानि मामला[/caption]
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब मानहानि को अपराध मानने से फिर से विचार कर रहा है क्योंकि आज के समय में अभिव्यक्ति की आजादी और मीडिया का रोल महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे सुधारने की जरूरत है और ताकि लोगों की बोलने की आजादी बनी रहे।
मानहानि मामले में सुनवाई कर रहा था सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यूज पोर्टल के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में जजमेंट पर सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की।
ये है पूरा मामला
2016 में एक न्यूज पोर्टल के खिलाफ JNU के प्रोफेसर ने आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था। याचिका में मजिस्ट्रेट ने समन को चुनौती दी थी, जिसे बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में न्यूज पोर्टल को जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा
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सुप्रीम कोर्ट[/caption]
मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस एम.एम. सुंदरश ने कहा कि अब समय आ गया है कि मानहानि मामलों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में न्यूज पोर्टल का पक्ष सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने रखा था।
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सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
ये मामला 2016 में एक न्यूज पोर्टल में पब्लिश हुई रिपोर्ट से जुड़ा है। रिपोर्ट में JNU को ऑर्गनाइज्ड सेक्स रैकेट का अड्डा बताया था। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तर्क दिया था कि बिना सत्यापन के किसी भी दस्तावेज का हवाला देकर ऐसी रिपोर्ट छापना, सीधे तौर पर उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है और व्यवसायिक फायदा उठाने की कोशिश की है।
ट्रेन टिकट पर यात्री का नाम बदलना अब आसान, जानें क्या है पूरी प्रक्रिया
Train Ticket Name Change: भारतीय रेलवे समय-समय पर यात्रियों की सुविधा को देखते हुए नए नियम लागू करता रहता है। अक्सर लोग टिकट पहले से बुक कर लेते हैं, लेकिन अचानक किसी कारणवश खुद यात्रा नहीं कर पाते। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या वही कन्फर्म (Confirm) टिकट किसी नजदीकी रिश्तेदार को दिया जा सकता है? इसका जवाब है- हां। रेलवे आपको टिकट पर यात्री का नाम बदलने की सुविधा देता है, हालांकि यह कुछ शर्तों और प्रक्रिया के साथ ही मुमकिन है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...