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हाइलाइट्स
नीलामी नोटिस के बाद संपत्ति नहीं छुड़ा पाएंगे
खरीदार के अधिकार अटल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सरफेसी एक्ट धारा 13(8) पर कोर्ट ने दी व्याख्या
Supreme Court Judgment: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि किसी संपत्ति की नीलामी का नोटिस (Auction Notice) प्रकाशित हो चुका है, तो उधारकर्ता (Borrower) उस संपत्ति को छुड़ा नहीं सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बैंक या वित्तीय संस्था द्वारा नीलामी प्रमाणपत्र (Auction Certificate) जारी होने के बाद खरीदार के अधिकार स्थायी और अटल हो जाते हैं। यह निर्णय सरफेसी एक्ट (SARFAESI Act) की धारा 13(8) के तहत दिया गया है।
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Supreme Court of India (File Photo)[/caption]
क्या है कोर्ट का फैसला
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि 2016 में धारा 13(8) में किए गए संशोधन (Amendment) उन मामलों पर भी लागू होंगे, जहां कर्ज पहले लिया गया था लेकिन डिफॉल्ट (Default) 1 सितंबर 2016 के बाद हुआ। इस प्रावधान के तहत यदि उधारकर्ता समय पर बकाया राशि का भुगतान नहीं करता और इस बीच नीलामी नोटिस प्रकाशित हो जाता है, तो वह संपत्ति पर अपना अधिकार स्वतः खो देता है।
खरीदार के अधिकार क्यों हैं अटल
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि एक बार नीलामी की प्रक्रिया पूरी हो जाने और प्रमाणपत्र जारी होने के बाद खरीदार के अधिकारों को चुनौती नहीं दी जा सकती। इसका उद्देश्य वित्तीय संस्थाओं और बैंकों द्वारा वसूली प्रक्रिया को मजबूत करना है। कोर्ट का मानना है कि नीलामी के बाद अगर उधारकर्ता को फिर से मौका दिया जाए तो खरीदारों का भरोसा डगमगा सकता है और संपत्ति लेन-देन में अनिश्चितता बनी रहेगी।
बैंक और वित्तीय संस्थाओं के लिए राहत
यह फैसला बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। अक्सर उधारकर्ता नीलामी नोटिस छपने के बाद भी कानूनी दांव-पेंच का सहारा लेकर प्रक्रिया को टालते रहते थे। अब सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से स्थिति स्पष्ट हो गई है कि नीलामी नोटिस के बाद संपत्ति को वापस लेने का अधिकार खत्म हो जाएगा। इससे कर्ज वसूली (Loan Recovery) की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो सकेगी।
निर्धारित समय पर कर्ज का निपटान करें उधारकर्ता
इस आदेश के बाद उधारकर्ताओं के लिए जरूरी हो गया है कि वे निर्धारित समय सीमा में अपने कर्ज का निपटान करें। यदि उन्होंने भुगतान में चूक की और बैंक ने नीलामी की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी, तो फिर कानूनी तौर पर उनके पास संपत्ति को बचाने का कोई रास्ता नहीं रहेगा।
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उधारकर्ता (सांकेतिक फोटो)[/caption]
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह संशोधन केवल भविष्य की डिफॉल्ट स्थिति पर ही नहीं, बल्कि 1 सितंबर 2016 के बाद के सभी मामलों पर लागू होगा।
Festival Special Train: त्योहारों पर 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं स्पेशल ट्रेनें, यात्रियों को मिलेगी राहत
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