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सुप्रीम एक्शन: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित 15 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव और वित्त सचिव को सुप्रीम कोर्ट ने किया तलब, ये है मामला

Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट नाराज, 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अदालती निर्देशों की पालना नहीं किया है।

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Rahul Sharma
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Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट ने 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य और वित्त सचिवों को तलब किया है।

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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने गुरुवार को द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (Second National Judicial Pay Commission) की सिफारिशों के अनुसार न्यायिक अधिकारियों को बकाया भुगतान के बारे में अदालत के निर्देश की पालना नहीं करने पर यह निर्देश दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को विभिन्न राज्यों व यूटी को अनुपालना के बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए 20 अगस्त तक की अंतिम समय सीमा दी थी।

सीजेआई की बेंच में सुनवाई के दौरान मिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता के.परमेशर ने कोर्ट को सूचित किया कि 15 राज्यों और यूटी ने अदालती निर्देशों की पालना नहीं किया है।

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इन राज्यों के सीएस और वित्त सचिव को किया तलब

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, तमिलनाडु, मणिपुर, ओडिशा एवं राजस्थान के मुख्य सचिव (सीएस) और वित्त सचिवों को 27 अगस्त को व्यक्तिश: कोर्ट में तलब किया है।

कोर्ट जाहिर कर चुका है नाराजगी

एसएनजेपीसी (Second National Judicial Pay Commission) की सिफारिशों का अनुपालन नहीं किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को सख्त नाराजगी जाहिर कर चुका है।

उस दौरान प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा था कि 'हमें पता हैं कि अब अनुपालन कैसे कराना है।

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अगर हम सिर्फ यह कहेंगे कि अगर हलफनामा दायर नहीं किया तो मुख्य सचिव को पेश होना होगा, तो यह दायर नहीं होगा।'

पीठ ने कहा, "हम उन्हें जेल नहीं भेज रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां रहने दें और फिर हलफनामा दाखिल किया जाएगा। उन्हें अभी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने दें।"

एकरूपता बनाए रखने की जरूरत

10 जनवरी को, शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि देश भर में न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों में एकरूपता बनाए रखने की जरूरत है।

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इसने एसएनजेपीसी के अनुसार न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों पर आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए प्रत्येक उच्च न्यायालय में दो-न्यायाधीशों की समिति के गठन का निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि हालांकि अन्य सेवाओं के अधिकारियों ने 1 जनवरी, 2016 को अपनी सेवा शर्तों में संशोधन का लाभ उठाया है, लेकिन न्यायिक अधिकारियों से संबंधित इसी तरह के मुद्दे आठ साल बाद भी अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

सेवानिवृत्त न्यायाधीश कर रहे समाधान का इंतजार

पीठ ने कहा कि न्यायाधीश सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और जिन लोगों की मृत्यु हो गई है उनके पारिवारिक पेंशनभोगी भी समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

एसएनजेपीसी की सिफारिशों में वेतन संरचना, पेंशन और पारिवारिक पेंशन और भत्ते शामिल हैं, इसके अलावा जिला न्यायपालिका की सेवा शर्तों के विषयों को निर्धारित करने के लिए एक स्थायी तंत्र स्थापित करने के मुद्दे से निपटना भी शामिल है।

Supreme Court order Second National Judicial Pay Commission SNJPC recommendations not followed Chief Secretaries and Finance Secretaries of many states summoned
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