Success Story: कहते हैं मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। जो लोग कुछ करने का मन बनाकर मेहनत करते हैं। अगर संकल्प पक्का हो तो कुछ भी संभव है। इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हुए हैं जो जीरो से हिरो बने हैं। किसी बड़े मुकांम तक पहुचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। हम आपके लिए एक ऐसी ही मेहनत की कहानी आपके लिए लेकर आए हैं। एक होटल में पोछा मारने से शुरू किया और करोड़ों तक का सफर तय कर दिया। हर कामयाब इंसान असफल भी होता है, लेकिन जो कुछ करना चाहते हैं वो एक दिन सफलता पा ही जाते हैं।
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ऐसी ही कहानी है KP ग्रूप के निदेशक अध्यक्ष डाक्टर फारूक गुलाम पटेल की। फारूक गुलाम पटेल ने सफल होने के लिए बहुत से पापड़ बेले। शुरुआत में उनको गरीबी की मार सहनी पड़ी। उनके पिता बस कंडक्टर थे, जिसकी वजह से उनके परिवार का गुजारा ही मुश्किल से चल पाता था।
कौन हैं फारुक गुलाम पटेल
24 मार्च 1972 को जन्मे डॉ. फारुक गुलाम पटेल भरूच के सलादारा गांव के मूल निवासी हैं। उनका पालन-पोषण उनके माता-पिता गुलाम पटेल और रशीदाबेन ने एक साधारण घर में किया। डॉ. पटेल के पिता गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम (जीएसआरटीसी) के लिए एक बस कंडक्टर थे, जो इस निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार का भरण-पोषण करने के लिए जीविकोपार्जन करते थे।
देश-विदेश घूमे फिर मिली कामयाबी
कुछ बड़ा करने की हसरत लिए डॉ. फारुक गुलाम पटेल गुजरात से मुंबई पहुंचे। शुरुआत में उन्होंने कई छोटे-मोटे काम किए। छोटी-सी सैलरी में ऑप्टिशियन के रूप में काम किया और फिर इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट ट्रेड की पढ़ाई शुरू कर दी। इसके आगे की स्टडी के लिए वह 1990 में मैनमेड टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन में चले गए।
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1991 में डॉ. फारुक गुलाम पटेल इंग्लैंड पहुंचे। हालांकि, विदेश में भी उन्हें शुरुआती संघर्ष का सामना करना पड़ा और एक कैफे में काम करने लगे। देश से 2 साल दूर रहने के बाद वे 1993 में सूरत लौट आए। देश पहुंचकर जल्द ही उन्होंने एक कार्टिंग कंपनी शुरू की। लेकिन 1994 में उन्होंने 1 लाख रुपये की पूंजी के साथ केपी ग्रुप की स्थापना की।
आज 2000 करोड़ का कारोबार
डॉ. पटेल की राह में उस समय एक निर्णायक मोड़ आया, जब उन्होंने केपी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। इस कंपनी ने 2001 में दूरसंचार क्षेत्र में काम करना शुरू किया। संचार के महत्व और कम्युनिकेशन टॉवर्स की बढ़ती आवश्यकता को समझने के बाद उन्होंने 16 भारतीय राज्यों में अपनी कंपनी को रणनीतिक रूप से विकसित करने का निर्णय लिया। इस बिजनेस में सफल होने के बाद उन्होंने रिन्युबल एनर्जी बाजार में प्रवेश किया।
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उन्होंने 2008 में केपीआई ग्रीन एनर्जी की स्थापना करके सौर ऊर्जा उद्योग में एंट्री ली। फिर, 2010 में, उन्होंने पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर जोर देते हुए केपी एनर्जी की स्थापना की, जिससे उनके पोर्टफोलियो का काफी विस्तार हुआ। आज डॉ। फारुक गुलाम पटेल की कंपनी के पास 1500 एकड़ से अधिक भूमि, गुजरात का सबसे बड़ा निजी सौर पार्क और 2 गीगावॉट से अधिक हरित ऊर्जा का पोर्टफोलियो है। केपी समूह का पूरे भारत में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का कमर्शियल एंपायर है।
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