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Success Story: पिता के साथ चाय-पकौड़े बेचते थे, 15 बार हुए फेल, फिर क्लीयर किया यूपीएससी, ऐसे बने अफसर

Success Story: अल्ताफ शेख महाराष्ट्र के पुणे जिले के काटेवाड़ी के रहने वाले हैं। उनके पिता मोहम्मद मिस्त्री एक छोटी सी मैकेनिक शॉप और दादी एक चाय की दुकान चलाती थीं।

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Bansal news
Success Story: पिता के साथ चाय-पकौड़े बेचते थे, 15 बार हुए फेल, फिर क्लीयर किया यूपीएससी, ऐसे बने अफसर

Success Story: अल्ताफ शेख महाराष्ट्र के पुणे जिले के काटेवाड़ी के रहने वाले हैं। उनके पिता मोहम्मद मिस्त्री एक छोटी सी दोपहिया वाहन की मैकेनिक शॉप और उनकी दादी एक चाय की दुकान चलाती थीं। इसके पास में ही एक स्क्रैप शॉप थी। अल्ताफ का बचपन इन्हीं तीनों के बीच बीता।

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15 सरकारी नौकारी में मिली असफलता

15 सरकारी भर्ती परीक्षाओं में असफलता का स्वाद चखने के बाद साल 2020 में यूपीएससी क्लीयर करके इंडियन कॉर्पोरेट लॉ सर्विसेज में अफसर बनने वाले अल्ताफ शेख की कहानी किसी फिल्म जैसी है। जो किसी फिल्म से कम नाटकीय और ट्विस्ट से भरी नहीं है।

पढ़ाई में थे होशियार

नौवीं कक्षा में उन्हें जवाहर नवोदय विद्यालय में दाखिला मिल गया। जो उनके जीवन में एक और मील का पत्थर था। वह अपने क्षेत्र के एक मात्र थे जिसका दाखिला नवोदय में हुआ था। पड़ोसी और रिश्तेदार तक उन्हें बधाई देने आए थे। अब उनका हौसला बुलंद था। उन्होंने 10वीं और 12वीं भी अच्छे स्कोर से पास किया।

पैसे के चक्कर में छोड़ा इंजीनियरिंग का सपना

अल्ताफ ने 12वीं के बाद एआईटी में दाखिले केलिए AIEEE पास किया। हालांकि उनके परिवार के पास इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए फीस देने के लिए पैसे नहीं थे। वह अपने पिता के साथ बैंक में गए एजुकेशन लोन के लिए। लेकिन बैंक ने उनका अप्लीकेशन तब रिजेक्ट कर दिया जब उसे पता चला कि उनके पिता एक मैकेनिक हैं।

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उनके पिता के पास सिर्फ 30 हजार रुपये ही थे। जिसके चलते उन्हें एक स्थानीय कॉलेज में ही बायोटेक्नोलॉजी में दाखिला लेना पड़ा। जिसकी फीस बिल्कुल 30 हजार ही थी। उन्होंने इंजीनियर बनने का सपना तो छोड़ दिया।

एसपी की सलाह में जारी की आईपीएस बने की तैयारी

लेकिन किस्मत किसी और ओर ले जा रही थी। इस कॉलेज में बतौर लाइब्रेरियन काम करते हुए उनकी मुलाकात महाराष्ट्र सिविल सेवा परीक्षा के एक स्टडी ग्रुप के लोगों से हो गई। यहां उन्हें एक बार और अपमान फिर तब सहना पड़ा जब फीस न जमा करने के चलते कोचिंग से बाहर कर दिया गया। अल्ताफ ने चुपचाप लाइब्रेरी में ही पढ़ाई शुरू कर दी।

एक दिन जब वह अपने पिता की शॉप पर बैठकर किताब पढ़ रहे थे तो वहां जिले के एसपी अशोक कामटे आए और उन्होंने जीवन में आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई जारी रखने की सलाह दी। उनकी इस बात को अल्ताफ और उनके पिता ने दिल पर ले लिया। उन्होंने अशोक कामटे की तरह एक पुलिस अधिकारी बनने का फैसला कर लिया।

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