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Success Story: इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बने कबाड़ीवाला, आज 10 करोड़ के टर्नओवर के साथ 300 लोगों को दे रहे रोजगार

Success Story: आप किसी ऐसे शख्स से मिले हैं जो इंजीनियर की अच्छी खासी नौकरी छोड़ कबाड़ीवाला बनने की ख्वाहिश रखता हो।

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Bansal news
Success Story: इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बने कबाड़ीवाला, आज 10 करोड़ के टर्नओवर के साथ 300 लोगों को दे रहे रोजगार

Success Story: आप किसी ऐसे शख्स से मिले हैं जो इंजीनियर की अच्छी खासी नौकरी छोड़ कबाड़ीवाला बनने की ख्वाहिश रखता हो। यदि नहीं मिले तो ये कहानी पढ़िए। यह दो युवाओं के संघर्ष और की ऐसी कहानी है जो सबसे ज्यादा युवाओं की आबादी वाले भारत के लिए एक मील का पत्थर का साबित हो सकती है।

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ये ऐसे दो युवाओं की कहानी है जिनके पास इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस भरने लायक पैसे भी नहीं होते थे। परिवार ने संघर्षों से जूझकर उन्हें इंजीनियर बनाया लेकिन वे कबाड़ीवाला बन गए। अच्छी बात यह कि आज उनके स्टार्टअप का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है। वे खुद तो आथिक रूप से समृद्ध हैं ही और उनकी कंपनी 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है।

कूड़े से लिखी कामयाबी की इबारत

ये कहानी भोपाल के स्क्रैप बेस्ड स्टार्टअप 'द कबाड़ीवाला' की है। कूड़े पर लिखी उनकी इबारत इतनी कामयाब हुई कि कुछ महीने पहले उन्हें मुंबई की इन्वेस्टर फर्म से 15 करोड़ रुपये की बड़ी फंडिंग मिली गई। एमपी के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी स्क्रैप बिजनेस स्टार्टअप को इतनी बड़ी फंडिंग मिली।

[caption id="attachment_236124" align="alignnone" width="859"]publive-imageइंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बने कबाड़ीवाला, आज 10 करोड़ के टर्नओवर के साथ 300 लोगों को दे रहे रोजगार[/caption]

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इसकी शुरुआत भोपाल के आईटी इंजीनियर अनुराग असाटी और रविंद्र रघुवंशी की कामयाबी की है जिन्होंने द कबाड़ीवाला के जरिए प्रदेश और देश के युवाओं के लिए एक उदाहरण पेश किया है। कामयाबी की ऐसी मिसाल पेश की है जो आने वाले समय में युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है।

यहां से मिला आइडिया

इसी सोच से उनके दिमाग में द कबाड़ीवाला का आइडिया आया। उन्होंने सोचा कि कोई ऐसा एप हो जिससे लोगों को कबाड़ीवाले के लिए इंतजार न करना पड़े। उनके पास यह सुविधा हो कि वे फोन लगाकर कबाड़ीवाले को घर बुलाएं। उन्होंने इसके लिए एक वेबसाइट तैयार की और एक्शन मोड में आ गए। शुरुआत में घर के लोगों को भी इसके बारे में नहीं बताया। डर था कि घर के बच्चे का कबाड़ीवाला बनना उन्हें पसंद नहीं आएगा।

खुद घरों से उठाया कबाड़

अनुराग और कविंद्र ने जब इसकी शुरुआत की तो दो साल तक खुद घरों से आने वाली बुकिंग पर कबाड़ उठाते थे। उनके घर के लोग भी इस बारे में कुछ नहीं जानते थे। जब काम आगे बढ़ा और प्रोग्रेस होने लगी तो उन्होंने घर के लोगों को इस बारे में बताया। उन्हें समझाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 3% हिस्सा कबाड़ का है। इसके बाद फैमिली ने भी उन्हें सपोर्ट किया। फिर उन्होंने द कबाड़ीवाला के नाम से स्टार्टअप लॉन्च किया।

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दोस्त और परिवार से पैसे उधार लिए

अनुराग ने बताया कि उनके पास स्टार्टअप में निवेश के लिए पैसे नहीं ते। इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद परिवार का खर्च चलाने के लिए नौकरी की। फिर 2015 में नौकरी छोड़ दी। शुरुआत में परिवार और दोस्तों की मदद से 25 लाख रुपए का निवेश किया अपने बिजनेस आइडिया और प्रोसेस से संबंधित प्रेजेंटेशन तैयार किए।

इन्वेस्टर के सामने प्रेजेंटेशन देकर, उन्हें फंडिंग करने के लिए राजी किया। 2019 में एंजल इन्वेस्टर ने तीन करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए थे। अनुराग ने बताया कि उनके स्टार्टअप के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित केंद्रीय गृह मंत्री गिरिराज सिंह भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।

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